वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-67-बारिश और सपने

Started by Atul Kaviraje, September 28, 2022, 09:00:21 PM

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Atul Kaviraje

                                   "वर्षा ऋतु कविता"
                                    कविता-पुष्प-67
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                  "बारिश और सपने"
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     एक--

सागर की लहरों पर
छलांग लगाता है एक लड़का
और लहर-संगीत से खुलती है
सागर-तट पर एक खिड़की
खिड़की के सामने खड़ी एक लड़की
कमरे के भीतर
भीगती है सागर पर गिरती बूंदों से
सराबोर भीगने का
सुख उसका अपना है
सागर-तट तक तिरती
लड़की की आंखों में
आतुर एक सपना है...

     दो--

छपाक-छपाक
पानी में दौड़ते हैं
बारिश में भीगते बच्चे
बड़ों में भी
भीगने का आनंद
बांटते हैं बच्चे...
सामने बुढ़िया की झोपड़ी है
झोपड़ी से दिखते हैं
बारिश में भीगते बच्चे
और झांकता है ऊपर से
खुला आसमान
झांझर है झोपड़ी
चूता है रात भर
झर-झर पानी
खाट पर खड़े-पड़े
भीगती है बुढ़िया
रात-रात भर भीगने का
दुख कभी
बांटती नहीं बुढ़िया
दुख उसका अपना है
हर बारिश में
दुख को सहलाता
जीवित एक सपना है...

--योगेंद्र कृष्णा
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                               (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                    (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-28.09.2022-बुधवार.