हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-34-अगर हम सच में बुरे होते तो सोचो कितना बवाल होता

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2022, 08:22:24 PM

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Atul Kaviraje

                                   "हिंदी कविता"
                                  पुष्प क्रमांक-34
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-34. इस कविता का शीर्षक है-"अगर हम सच में बुरे होते तो सोचो कितना बवाल होता"

                "अगर हम सच में बुरे होते तो सोचो कितना बवाल होता"
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समन्दर का पानी शराब होता तो
सोचो कितना बवाल होता,
हक़ीक़त, ख़्वाब होते तो सोचो
कितना बवाल होता...

किसी के दिल में क्या छुपा हैं ये
बस ख़ुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो
कितना बवाल होता...

थी ख़ामोशी हमारी फ़ितरत में तभी
तो बरसो निभाई लोगों से,
अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो
सोचो कितना बवाल होता...

हम तो अच्छे थे पर लोगों की
नजर में हमेशा बुरे ही रहें,
कहीं हम सच में बुरे होते तो सोचो
कितना बवाल होता...

--AUTHOR UNKNOWN
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.10.2022-रविवार.