लफ़्ज़ों का खेल-आस का पंछी-तुम रूठी रहो

Started by Atul Kaviraje, October 03, 2022, 08:55:40 PM

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Atul Kaviraje

                                     "लफ़्ज़ों का खेल"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "लफ़्ज़ों का खेल" इस शीर्षक के अंतर्गत, "लता मंगेशकर" व श्री  "मुकेश" की आवाज मे "आस का पंछी" फिल्म का गीत.

                                    "तुम रूठी रहो"
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तुम रूठी रहो
मैं मनाता रहूँ
के इन अदाओं पे
और प्यार आता है

थोड़े शिकवे भी हों
कुछ शिकायत भी हों
तो मज़ा जीने का
और भी आता है

हाय दिल को चुराकर ले गया
मुँह छुपा लेना हम से वो आपका
देखना वो बिगड़ कर फिर हमें
और दाँतों में ऊँगली का दाबना
ओ मुझे तेरी कसम
ये ही समां मार गया
इसी जलवे पे तेरे
दोनों जहां हार गया
तुम रूठी रहो...

ये न समझो कि तुमसे दूर हूँ
तेरे जीवन की प्यार भरी आस हूँ
चाँद के संग जैसे है चाँदनी
वैसे मैं भी तेरे दिल के पास हूँ
हाय वो दिल ही नहीं
जो न धड़कना जाने
और दिलदार नहीं
जो न तड़पना जाने
थोड़े शिकवे भी हों...

चाहे कोई डगर हो प्यार की
ख़तम होगी ना तेरी-मेरी दास्तताँ
दिल जलेगा तो होगी रोशनी
तेरे दिल में बनाया मैंने आशियाँ
ओ शरद पूनम की
रंग भरी चाँदनी
मेरी सब कुछ
मेरी तक़दीर, मेरी ज़िन्दगी
तुम रूठी रहो...

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तुम रूठी रहो 
Movie/Album: आस का पंछी (1961)
Music By: शंकर-जयकिशन
Lyrics By: हसरत जयपुरी
Performed By: लता मंगेशकर, मुकेश
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               (साभार एवं सौजन्य-हिंदी लैरिकस प्रतीक.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                        (संदर्भ-Lyrics In Hindi-लफ़्ज़ों का खेल)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-दिनांक-03.10.2022-सोमवार.