हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-36-वक्त के साथ सबकुछ बदल जाता है

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2022, 09:10:34 PM

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Atul Kaviraje

                                   "हिंदी कविता"
                                  पुष्प क्रमांक-36
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-36. इस कविता का शीर्षक है- "वक्त के साथ सबकुछ बदल जाता है, वापस बीते हुए जमाने नही"

            "वक्त के साथ सबकुछ बदल जाता है, वापस बीते हुए जमाने नही"
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उठ जाता हूं..भोर से पहले.. सपने सुहाने नही आते...
अब मुझे स्कूल न जाने वाले...बहाने बनाने नही आते..

कभी पा लेते थे..घर से निकलते ही..मंजिल को..
अब मीलों सफर करके भी...ठिकाने नही आते...

मुंह चिढाती है..खाली जेब. महीने के आखिर में,.
अब बचपन की तरह..गुल्लक में पैसे बचाने नही आते..

यूं तो रखते हैं..बहुत से लोग..पलको पर मुझे..
मगर बेमतलब बचपन की तरह गोदी उठाने नही आते..

माना कि.जिम्मेदारियों की..बेड़ियों में जकड़ा हूं..
क्यूं बचपन की तरह छुड़वाने..वो दोस्त पुराने नही आते..

बहला रहा हूं बस दिल को बच्चों की तरह.
मैं जानता हूं.फिर वापस बीते हुए जमाने नही आते!

--भुनेश्वर
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-04.10.2022-मंगळवार.