प्रत्यक्षा-कविता-पुराना साल-नूतन वर्ष

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2022, 10:16:27 PM

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Atul Kaviraje

                                       "प्रत्यक्षा"
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मित्रो,

     आज पढते है, "प्रत्यक्षा" इस कविता ब्लॉग की एक कविता . इस कविता का शीर्षक है-"दुश्मनों से भी दोस्ती रखिए"

                                   पुराना साल-नूतन वर्ष--
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नूतन वर्ष
द्वार खटखटाये
आ जायें हम ?

पुराना साल
दुबका खरगोश
बीता समय

सांता की टोपी
मिसलेटो का पेड
तोहफे सारे

धूम धडाका
बारह बजे क्या ?
इंतज़ार है

रेंनडियर
घुँघरू बजाता है
कैरोल धुन

नाचते सब
खुशी मनाते रहे
क्यों न रोज़

पुराने पत्ते
सा , गिर गया साल
कोंपल फूटी

गिनते रहे
उँगलियों पे हम
साल हिसाब

सूरज बोला
उठ जाओ भी अब
नये साल में

कर लें प्रण
फिर नये पुराने
इस बार भी

इंतज़ार में
लायेगा साल क्या
थोडी सी खुशी

पिछला साल
रुठा , इतने बुरे
हम थे नहीं

गिले शिकवे
चादर के अंदर
बाँधी गठरी

फूल खिलायें
तितलियाँ रंगीन
नूतन वर्ष

--प्रत्यक्षा
(12/26/2005)
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                 (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-प्रत्यक्षा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.10.2022-बुधवार.