हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-38-लोगों के अंदर एक नई उम्मीद बढ़ाती

Started by Atul Kaviraje, October 06, 2022, 09:03:32 PM

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Atul Kaviraje

                                      "हिंदी कविता"
                                     पुष्प क्रमांक-38
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-38. इस कविता का शीर्षक है- "लोगों के अंदर एक नई उम्मीद बढ़ाती"

                           "लोगों के अंदर एक नई उम्मीद बढ़ाती"
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कोई महफ़िल नहीं है, कोई यार नहीं है,
कैसा दौर है कि मेरे साथ मेरे दिलदार नहीं है।

मत घबरा ऐ दिल, है ये दौर कुछ वक़्त का,
हमेशा के लिए तो तू भी मेहमान नहीं है।

वक़्त बदल देता है हर आलम और हालात,
हमेशा तो कभी गम की बरसात नहीं है।

आयेगी तेरे बेपरवाह होकर जीने की रातें भी,
बस समझ ले अभी तेरे लिए कुछ आराम नहीं है।

देखें है ऐसे वक़्त तूने पहले भी जिंदगी में बहुत,
इस वक़्त को बिताना तेरे लिए इक इम्तहान नहीं है।

तेरे लिये सोच रखे होंगे कुछ बेपनाह खुशनुमा लम्हें,
ऊपरवाले के ख्यालों में बस गम के हालात नहीं है।

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.10.2022-गुरुवार.