निबंध-क्रमांक-38-धन पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, October 06, 2022, 09:06:23 PM

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Atul Kaviraje

                                        "निबंध"
                                       क्रमांक-38
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-"  धन पर निबंध"

                     धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)--
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     धन जीवन की सबसे आधारभूत आवश्यकता है, जिसके बिना कोई भी अपने दैनिक जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता। हम धन के महत्व की तुलना कभी भी प्यार और देखभाल के महत्व से नहीं कर सकते हैं। जब किसी को धन की आवश्यकता होती है, तो उसे प्यार से पूरा नहीं किया जा सकता और यदि किसी को प्यार की आवश्यकता होती है, तो उसे धन से पूरा नहीं किया जा सकता। दोनों की ही स्वस्थ जीवन के लिए बहुत अधिक आवश्यकता है लेकिन, दोनों का जीवन में अलग-अलग महत्व है।

                             जीवन में धन की आवश्यकता--

                प्रस्तावना--

     इस तरह के प्रतियोगी समाज और संसार में, हम में से कोई भी बिना धन के जीवित नहीं रह सकता। हमें अपनी आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है, जैसे- भोजन खरीदना, और जीवन की अन्य आधारभूत आवश्यकताएं, जिन्हें बिना धन के प्राप्त करना बिल्कुल असंभव है। समाज में वे लोग जो धनी हैं और जिनके पास सम्पत्ति है, उन्हें समाज में आदरणीय और सम्मानित व्यक्ति माना जाता है हालांकि, एक गरीब व्यक्ति को बिना किसी अच्छी भावना के घृणा की दृष्टि से देखा जाता है।

                    धन की आवश्यकता--

     धन समाज में व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि करता है और उसकी एक अच्छी छवि का निर्माण करता है। हम सभी व्यापार, अच्छी नौकरी, अच्छे व्यवसाय आदि के माध्यम से अधिक से अधिक धन कमाकर धनी होना चाहते हैं ताकि, हम आधुनिक समय की बढ़ती हुई सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें। यद्यपि, बहुत कम ही लोगों को अपने करोड़पति बनने के सपने को पूरा करने का अवसर मिलता है। इसलिए, धन पूरे जीवन में महत्व रखने वाली वस्तु है।

     धन की आवश्यकता सभी को होती है, चाहे वह गरीब हो या अमीर और शहरी क्षेत्र का हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र का। शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों से अधिक धन कमाते हैं क्योंकि शहरी इलाकों के लोगों की तकनीकी तक पहुँच बहुत आसान होती है और उनके पास अधिक स्रोत होते हैं, जो उनकी धन कमाने की क्षमता को बढ़ाते हैं। इस कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग विकास के क्षेत्र में पिछड़ जाते हैं और शहरी क्षेत्र अधिक विकसित हो जाते हैं।

                        निष्कर्ष--

     धन के महत्व में उत्पादन, उपभोग, विनिमय, वितरण, सार्वजनिक राजस्व आदि के क्षेत्र में बड़े स्तर पर वृद्धि हुई है। यह आय, रोजगार, आगम-निगम, सामान्य मूल्य स्तर आदि के निर्धारण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि वर्तमान समय के परिदृश्य को देखा जाए तो इस बात में कोई संदेह नहीं है कि, जिसके पास धन की अधिकता है, वो ही संसार में अधिक सभ्य माना जाता है। पहले समय में, एक प्रथा प्रचलन में थी जिसे विनिमय प्रणाली कहा जाता था, जिसमें किसी को भी एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु प्राप्त हो जाती थी हालांकि, अब इस आधुनिक संसार में प्रत्येक वस्तु या चीज को खरीदने के लिए केवल धन की आवश्यकता होती है।

--AUTHOR UNKNOWN
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(JANUARY 13, 2017)
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                  (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी की दुनिया.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.10.2022-गुरुवार.