सेहर-कविता-वो राहगिर जगह-जगह घूम आयेगा

Started by Atul Kaviraje, October 06, 2022, 09:31:33 PM

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Atul Kaviraje

                                        "सेहर"
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मित्रो,

     आज पढते है, फिजा़, इनके "सेहर" इस कविता ब्लॉग की एक कविता . इस कविता  का शीर्षक है- "वो राहगिर जगह-जगह घूम आयेगा"

                           वो राहगिर जगह-जगह घूम आयेगा--
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कभी-कभी प्‍यार इंसान को उस ऊँचाई तक ले जाती है
जब वो अपने दायरे को लाँघ कर आगे निकल जाती है
फिर वो किसी एक की नहीं रेह जाती....
रोज़मरे की बातों से हटकर कुछ गुलाबी एहसासों को
पिरोने की एकमात्र कोशिश है....
आप की राय की मुंतजि़र

तुम्‍हारे प्‍यार के बरसात की एक बूँद
समेट लिया है मैंने मेरे आँचल में
आज एक बीज बनकर ही सही
कल एक कँवल बन के खिलेगा

अपनी खुशियों की दास्‍तान
वो सुनायेगा सभी को
दिलाकर एहसास हमारे प्‍यार का
वो राहगिर जगह-जगह घूम आयेगा

--फिजा़
(Wednesday, November 29, 2006)
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-प्रातःकाल.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.10.2022-गुरुवार.