हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-39-जो बीत गया है वो गुजर क्यूँ नहीं जाता

Started by Atul Kaviraje, October 07, 2022, 09:52:19 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                    पुष्प क्रमांक-39
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-39. इस कविता का शीर्षक है- "जो बीत गया है वो गुजर क्यूँ नहीं जाता"

                         "जो बीत गया है वो गुजर क्यूँ नहीं जाता"
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बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुजर क्यूँ नहीं जाता

सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूँ नहीं जाता

वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता

मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता

वो ख़्वाब जो बरसों से न चेहरा न बदन है।
वो ख़्वाब हवाओं में बिखर क्यूँ नहीं जाता।।

--AUTHOR UNKNOWN
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-07.10.2022-शुक्रवार.