हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-40-इंसान गुज़रा हुआ कल ढूंढता है

Started by Atul Kaviraje, October 08, 2022, 10:05:47 PM

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Atul Kaviraje

                                      "हिंदी कविता"
                                     पुष्प क्रमांक-40
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-40. इस कविता का शीर्षक है- "इंसान गुज़रा हुआ कल ढूंढता है"

                            "इंसान गुज़रा हुआ कल ढूंढता है"
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हर इंसान गुज़रा हुआ कल ढूंढता है,
खुशियों से भरा वो पल ढूंढता है।

परेशानियां तो आयेंगी ही जीवन में
फिर भी गमों से लड़ने के लिए वो हल ढूंढता है।

हर इंसान परेशान क्यों है
दिल में ग़म और लबो पर लाखों सवाल क्यों है।

ये खुदा एक इंसान भी नहीं जो दिल कि
बातों को समझे
पर दिल तोड़ने वाला हजार क्यों है।

--भुनेश्वर
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-08.10.2022-शनिवार.