हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-43-कुछ रिश्ते है जो ख़ास है

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2022, 09:10:51 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                    पुष्प क्रमांक-43
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-43. इस कविता का शीर्षक है- "कुछ रिश्ते है जो ख़ास है"

(रिश्तों के बारे में बहुत कुछ बताती एक बेहतरीन हिंदी कविता)
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                                 "कुछ रिश्ते है जो ख़ास है"
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कुछ रिश्ते है जो ख़ास है।
कुछ अपने मेरे पास है !!

कुछ रिश्तों ने खामोश किया
बस अपनों से ही आस है....

जो पहले मेरे खास थे
उन्होंने तोड़े विश्वास है !!

कुछ ने खेला जज्बातों से
उनको नहीं अहसास है....

कुछ हाथो से है छूट रहे
कुछ धीरे-धीरे रुठ रहे !!

कुछ ने पहने मुखोटे है।
और अपनों को ही लूट रहे...

– प्रीती शर्मा
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.10.2022-मंगळवार.