लफ़्ज़ों का खेल-आग-ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िन्दगी नहीं

Started by Atul Kaviraje, October 11, 2022, 09:19:39 PM

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Atul Kaviraje

                                     "लफ़्ज़ों का खेल"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "लफ़्ज़ों का खेल" इस शीर्षक के अंतर्गत, "मुकेश" की आवाज मे "आग" फिल्म का गीत.

                       "ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िन्दगी नहीं"
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ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िन्दगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ मगर रोशनी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह...

वो मुद्दतें हुईं हैं किसी से जुदा हुए
लेकिन ये दिल की आग अभी तक बुझी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह...

आने को आ चुका था किनारा भी सामने
ख़ुद उसके पास ही मेरी नैया गई नहीं
ज़िन्दा हूँ इस तरह...

होंठों के पास आए हँसी, क्या मजाल है
दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं
ज़िन्दा हूँ इस तरह...

ये चाँद ये हवा ये फ़ज़ा, सब हैं माज़मा
जब तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं
ज़िन्दा हूँ इस तरह...

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ज़िंदा हूँ इस तरह -Zinda Hoon Is Tarah
Movie/Album: आग (1948)
Music By: राम गांगुली
Lyrics By: बहज़ाद लखनवी
Performed By: मुकेश
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               (साभार एवं सौजन्य-हिंदी लैरिकस प्रतीक.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                       (संदर्भ-Lyrics In Hindi-लफ़्ज़ों का खेल)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.10.2022-मंगळवार.