हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-45-वो बचपन का जमाना था..

Started by Atul Kaviraje, October 13, 2022, 09:05:19 PM

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Atul Kaviraje

                                    "हिंदी कविता"
                                   पुष्प क्रमांक-45
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-45. इस कविता का शीर्षक है- "वो बचपन का जमाना था.."

(बचपन की खूबसूरती बताती हुई बेहतरीन कविता)
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                              "वो बचपन का जमाना था.."
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एक बचपन का जमाना था,
जिस में खुशियों का खजाना था
चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दिवाना था..

खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का ठिकाना था..
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था...

माँ की कहानी थी,
परीयों का फसाना था..
बारीश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था..

रोने की वजह ना थी,
ना हँसने का बहाना था..
क्युँ हो गऐ हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था..
वो बचपन का जमाना था..

               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.10.2022-गुरुवार.