हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-46-आजकल की बदलती हुई दुनिया का प्रभाव

Started by Atul Kaviraje, October 14, 2022, 09:25:27 PM

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Atul Kaviraje

                                   "हिंदी कविता"
                                  पुष्प क्रमांक-46
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-46. इस कविता का शीर्षक है- "आजकल की बदलती हुई दुनिया का प्रभाव"

(आजकल की बदलती हुई दुनिया का प्रभाव किस तरह से हमारे जीवन पर पड़ रहा है यह बताती एक खूबसूरत हिंदी कविता)
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                       "आजकल की बदलती हुई दुनिया का प्रभाव"
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फ़िक्र इन आंखों में परिवार का रहता है
आजकल इंतजार रविवार का रहता है।

जरुरते ना हो जाए कहीं कमाई से महंगी
ज़िक्र चाय के साथ अखबार का रहता है।

लग ना जाए कहीं मुस्कुराने पर भी टैक्स
डर इस बदलती सरकार का रहता है।

दिला दे मुझे एक लंबी छुट्टी इस काम से
इंतजार किसी एक ऐसे तार का रहता है

जख्मी नहीं होता अब मैं खंजरों के वार से
बोझ हर दिन दिल पर तलवार का रहता है।

सह लेता हूं भली बूरी हर बात खमोशी से
कर्ज मुझ पर मेरे संस्कार का रहता है।

कहा गवाता जा रहा है खुद को भागदौड़ में
सवाल चेहरे पर पड़ी दरार का रहता है।

कमा लू मैं लाख अपना ईमान बेचकर
फिर वजूद कहा मेरे किरदार का रहता है।

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.10.2022-शुक्रवार.