निबंध-क्रमांक-47-मैं कौन हूँ पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, October 15, 2022, 10:18:18 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-47
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-" मैं कौन हूँ पर निबंध"

             मैं कौन हूँ पर निबंध (WHO AM I ESSAY IN HINDI)--
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                      प्रस्तावना--

     मैं बहुत दयालु व्यक्ति हूँ। मेरे इस विशेषता ने मुझे कई मित्र बनाने में मदद की है। इस वजह से मेरे परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी मेरी प्रशंसा करते हैं। हालांकि मेरी इस विशेषता ने कई बार मुझे मुसीबत में भी डाला है। समय बीतने के साथ मैंने सीखा है कि दयालु हृदय रखना और अन्य लोगों की मदद करना अच्छा है लेकिन हर चीज़ का ज़रूरत से ज्यादा होना खराब है।

             कैसे मेरे दयालु स्वभाव ने मुझे मुसीबत में डाला--

     ऐसा कहा जाता है कि जो लोग दूसरों की सहायता करते हैं वे हमेशा संतुष्ट और खुश होते हैं। मेरे अंदर दूसरों के लिए दया स्वाभाविक रूप से है और मुझे दूसरों की मदद करना मुझे अच्छा लगता है। यह मुझे संतुष्टि की भावना देता है। स्कूल, घर या कहीं भी हो मुझे आसपास के हर किसी की मदद करना अच्छा लगता है। मैं चाहता हूं कि हर कोई खुश रहें। मैं सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की पूरी कोशिश करता हूं।

     हालांकि मेरी इस आदत ने अक्सर मेरे लिए समस्याएं पैदा की हैं। उदाहरण के लिए क्योंकि मैं पढ़ाई में अच्छा हूं तो छात्र अक्सर मेरी नोटबुक अपने काम को पूरा करने के लिए ले जाते हैं। यहां तक ​​कि जब अगले दिन परीक्षा हो और मेरे साथी छात्र मेरी मदद मांगते हैं तो भी मैं अपनी नोटबुक उन्हें देने से इनकार नहीं कर सकता। कई बार मेरे सहपाठियों ने समय पर मेरी नोटबुक वापस नहीं की है और ऐसे मामलों में परीक्षा के लिए तैयारी करना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी मुझे मेरी नोटबुक फटी हुई मिलती है। मैं दूसरों के लिए अच्छा करना चाहता हूं लेकिन मेरे लिए यह बुरा साबित होता है। कई बार मैं गरीब बच्चों को अपना दोपहर का भोजन देता हूं जो स्कूल जाने के लिए भोजन और धन के लिए भीख मांगते हैं। हालांकि इसके कारण मेरे पास आधे दिन तक खाने के लिए कुछ नहीं रह जाता। इसका मेरे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे दिनों में मुझे सिरदर्द, पेट में दर्द और एसिडिटी की समस्या हो जाती है।

                  कैसे मैंने खुद को बेहतर बनाया--

     मेरी माँ मुझे इस तरह से पीड़ित होते नहीं देख सकती। इसलिए वह मुझे ऐसे काम करने की इज़ाज़त नहीं देती जिनका मुझ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि पहले मैंने नसीहतों को खारिज कर दिया था क्योंकि मुझे लोगों की मदद करना अच्छा लगता था लेकिन समय गुज़रने के साथ मुझे एहसास हुआ कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए लेकिन सबसे पहले खुद का ध्यान रखना आवश्यक है। एक प्रसिद्ध उदाहरण है, "आप एक खाली कप से चाय नहीं डाल सकते। पहले अपना ध्यान रखिए"। इसका अर्थ है कि हम दूसरों मदद तब ही कर सकते हैं जब हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं। हम खुद को भूखा रखकर दूसरों को खाना नहीं खिला सकते हैं।

     तो भले ही मैं लोगों की मदद करने की इच्छा को महसूस कर रहा हूँ पर अब मैं खुद को रोकता हूं और खुद से पूछता हूं कि कहीं इसका मुझ पर कोई नकारात्मक प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। अगर जवाब हाँ है तो मैं ऐसा करने से खुद को रोकता हूं। मेरे व्यवहार में इस मामूली बदलाव को देखते हुए कुछ लोगों ने मुझे निर्दयी बोलना शुरू कर दिया है। हालांकि उनका ऐसा बोलना मुझे प्रभावित नहीं करता क्योंकि मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूं। मेरे परिवार का मानना ​​है कि मैं समझदार बन गया हूं और यही मेरे लिए पर्याप्त है।

                        निष्कर्ष--

     मुझे जीवन में नई चीजों को सीखना और उनका अनुभव करना पसंद है। मैं जो कुछ हूं और दूसरों को खुश करने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं उसके लिए मैं आभारी हूं। हालांकि अब मैं इस बात का ध्यान रखता हूँ कि दूसरों की देखभाल करने और उन्हें खुश करने के लिए मुझे सबसे पहले खुद का ख्याल रखना होगा।

--AUTHOR UNKNOWN
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(JANUARY 30, 2018)
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                  (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी की दुनिया.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.10.2022-शनिवार.