मेरे मन के भाव-कविता-खोलो मन के द्वार

Started by Atul Kaviraje, October 16, 2022, 10:42:59 PM

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Atul Kaviraje

                                   "मेरे मन के भाव"
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मित्रो,

     आज पढते है, अनुराधा चौहान, इनके "मेरे मन के भाव" इस ब्लॉग की एक कविता . इस कविता का शीर्षक है- "खोलो मन के द्वार"

                                    खोलो मन के द्वार--
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खोलो मन के द्वार
आने दो प्रेम की बाढ़
सब विषाद बह जाने दो
खुशियों को लहराने दो

क्या रखा अकेले जीने में
घुट-घुट कर दर्द सहने में
बीत चली अब साल पुरानी
नई साल की करो अगवानी

नववर्ष की जब मचेगी धूम
बुरी बातों को जाना तुम भूल
द्वार दिल के रखना खोलकर
खुशियां न लौटे मुंह मोड़कर

देख दिल के बंद दरवाजे
किसी को भी नहीं लगते प्यारे
चलो मिटाएं मन से द्वेष
बना रहे सभी का मन प्रेम

--अनुराधा चौहान
(Wednesday, December 26, 2018)
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-नरेंद्र रघुवीर.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.10.2022-रविवार.