हिंदी पंडितजी-कविता-बेटे का पिता से संवाद

Started by Atul Kaviraje, October 23, 2022, 09:59:08 PM

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Atul Kaviraje

                                    "हिंदी पंडितजी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "हिंदी पंडितजी"इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "बेटे का पिता से संवाद"

                                   बेटे का पिता से संवाद--
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     बेटे का पिता से संवाद हे जो अगर बेटा समझ  सके तो उस के जीवन की बुनियाद है, बेटा अपने नजरिए से दुनिया देखता हैऔर पिता अपने जिंदगी के अनुभव से उसे समझाता है--

बेटे ने कहा एक तिनका तो ही है
पिता ने कहा तिनके तिनके से घर बनते देखा है।
बेटे ने कहा एक दाना तो ही हे
पिता ने कहा दाने दाने से अन्न बनते देखा है
बेटे ने कहा एक रुपया ही तो हे
पिता ने कहा रुपया रुपया से बचत बनते देखा है
बेटे ने कहा एक आदमी ही तो है
पिता ने कहा आदमी आदमी से समाज बनते देखा है
बेटे ने कहा एक आंसू ही तो है
पिता ने कहा आंसू आंसू  से मन के भाव बनते देखा हे
बेटे ने कहा एक परिचित ही तो हे
पिता ने कहा मित्र मित्र से परिवार  बनते देखा हे
अब बेटा थोड़ा संजीदा और समझदार था
देश और दुनिया के हालात से खबरदार था
बेटे ने कहा एक मजदूर ही तो है
पिता ने कहा मजदूर मजदूर से सृजन होते देखा है
बेटे ने कहा अपनें धर्म का ही तो है
पिता ने कहा धर्म धर्म से भारत बनते देखा है
अब पिता ने बेटे को समझाया और अपने तजुर्बे का चश्मा लगाया
बोले बूंद बूंद संचय से सागर बनता हे
एक एक मिनट से जीवन  बनता हे 
सर्वधर्म से भारत बनता है जीवन ऐसे ही आगे बढ़ता है

--हिंदी पंडितजी
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी पंडितजी.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-23.10.2022-रविवार.