दिल की कहानी...-कविता-मैं

Started by Atul Kaviraje, October 24, 2022, 09:47:17 PM

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Atul Kaviraje

                                    "दिल की कहानी..."
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मित्रो,

     आज पढते है, शैवIलीका जोशी, इनके "दिल की कहानी..." इस ब्लॉग की  एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "मैं"

                                              मैं--
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हर पल किसीको अपने साथ देखती हूँ मैं
अब अचानक ही अकेले मुस्काती हूँ मैं
सोचा कभी क्या हो गया है मुझको,
तो बस उलझकर ही रह गयी हूँ मैं
क्या कहूँ, किसे कहूँ, कोई है नही सुनाने को
आजकल तो सिर्फ अपनी ही सहेली बन गयी हूँ मैं
हर राज मेरा, मुझ तक ही सिमट गया है
उसे शब्द देने में असमर्थ हो गयी हूँ मैं
हर पल चहकना तितली पकड़ना अब कहा
वो बचपन जैसे कही भूल आई हूँ मैं
सहेलियों को छोड़ अपने में सिमट सा गयी हूँ मैं
दिल की उलझनों में कभी इक पहेली बन गयी हूँ मैं
किसी पल अचानक से रोई और फिर
खुद ही खुद पे मुस्कुराती हूँ मैं

--शैवIलीका जोशी 
(Monday, December 13, 2010)   
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          (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-कविता डायरेक्ट दिलसे.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.10.2022-सोमवार.