बावरे-फ़क़ीरा-एक हिंदुस्तानी की डायरी: हम ब्लॉगर साहित्य से बहिष्कृत हैं क्या ?

Started by Atul Kaviraje, October 25, 2022, 10:01:34 PM

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Atul Kaviraje

                                   "बावरे-फ़क़ीरा"
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मित्रो,

     आज पढते है, गिरीश बिल्लोर मुकुल, इनके "बावरे-फ़क़ीरा" इस ब्लॉग का एक लेख . इस लेख का शीर्षक है- "एक हिंदुस्तानी की डायरी: हम ब्लॉगर साहित्य से बहिष्कृत हैं क्या ?"

       एक हिंदुस्तानी की डायरी: हम ब्लॉगर साहित्य से बहिष्कृत हैं क्या ?--
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     भैया आपका सवाल सही है ब्लॉगर के बारे में सोच यही है । क्योंकि बहुतेरे ब्लॉग के "ब" तक से परिचित नहीं हैं! जिसे ब्लागिंग की जानकारी हों वो ऐसा नहीं सोचता । हम सभी आने वाले वर्षों में शोध का विषय होंगे ...आप चिंता न करिये। रामायण लिखने वाले "तुलसी"को क्या मालूम था कि विश्व में उनकी रचना उनको प्रतिष्ठा दिलाएगी । हाँ गंदगी जिस दिन भी ब्लॉग पर आएगी हम सभी बदनाम हों सकतें हैं.....इस बात को ध्यान में रख के हम अपना काम जारी रखें.... ब्लॉगर साहित्य की पुलिस चौकियों से ज़रूर बहिष्कृत है , उनके थानों से बाहर हैं किन्तु हिन्दी साहित्य ने हमको नकारा नहीं है। ये सही है कि "ब्लॉग पर चर्चा कम है" ये संकट तो सभी का है।

--गिरीश बिल्लोर मुकुल 
(Saturday, December 8, 2007)
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-जबलपूर समाचार.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-25.10.2022-मंगळवार.