हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-58

Started by Atul Kaviraje, October 26, 2022, 09:31:21 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                    पुष्प क्रमांक-58
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-58. इस कविता का शीर्षक है- "जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो"

(Best Love Hindi Poetry – जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो)
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                           "जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो"
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जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो
कुछ रिश्ते अपनेपन और एहसास के भी होते हैं।

जरूरी नहीं हर रिश्ते में जीत या हार हो
कुछ रिश्ते समर्पण के भी होते हैं।

जरूरी नहीं हर रिश्ते में कुछ पाना या खोना ही हो
कुछ रिश्ते त्याग के भी होते हैं।

जरुरी नहीं हर रिश्ता पास रहकर ही निभाना हो
कुछ रिश्ते दूर रहकर भी निभाने होते हैं।

जरूरी सहीं हर रिश्ते का आधार आपस में एक दूसरे से कुछ लेना देना ही हो
कुछ रिश्ते बिना स्वार्थ, बिना लेन देन के भी होते हैं
हर रिश्ते की अपनी खूबसूरती और जज्बात है।

बस ये जानकर ही उन्हें निभाने होते हैं.....

--✍🏻 शीतल दुबे
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.10.2022-बुधवार.