हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-60-मैं अपनी औकात में खुश हूँ

Started by Atul Kaviraje, October 28, 2022, 08:49:29 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                    पुष्प क्रमांक-60
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-60. इस कविता का शीर्षक है- "मैं अपनी औकात में खुश हूँ"

(beautiful hindi poetry – मैं अपनी औकात में खुश हूँ)
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                              "मैं अपनी औकात में खुश हूँ"
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मैं अपनी औकात में खुश हूँ।
जैसी भी है जात में खुश हूँ।

नहीं किसी से कुछ चाहा है,
मैं तो हर हालात में खुश हूँ।

खुशियाँ रूठ गईं तो क्या गम,
गैरों की बारात में खुश हूँ।

उन्हें मुबारक उनका सूरज,
मैं तो अपनी रात में खुश हूँ।

जब तक हंसी नहीं आती है,
आंसू की सौगात में खुश हूँ।

दर्द सहन करना क्या आया,
अपनों के आघात से खुश हूँ।

जश्न जीत का खूब मनाओ,
मैं तो अपनी मात में खुश हूँ।

इसका मतलब जो भी निकले,
मैं तो बस बरसात में खुश हूँ।

वो दिमाग से बेशक सोचें,
मैं तो दिल की बात से खुश हूँ।

--AUTHOR UNKNOWN
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-28.10.2022-शुक्रवार.