साहित्यशिल्पी-किसान आंदोलन की आड में [आलेख]-अ

Started by Atul Kaviraje, October 31, 2022, 10:14:04 PM

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Atul Kaviraje

                                    "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "किसान आंदोलन की आड में [आलेख]" 

                     किसान आंदोलन की आड में [आलेख] –
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     किसान आंदोलन की आड़ में 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जो कुछ भी हुआ है उसे जायज नहीं करार दिया जा सकता है. कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों का ट्रैक्टर मार्च  हिंसक हो गया. कई जगहों पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई. पिछले करीब दो महीने से दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित सिंघू बॉर्डर पर जमे किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली, इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच जमकर हिंसक झड़प हुई. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर बैरेकेडिंग तोड़ते हुए दिल्ली के अंदर घुस गए और जबरन तोड़फोड़ की.

     दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ दिए. कई जगहों पर पुलिस ने बवाल मचा रहे किसानों को तितर बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया. कई जगहों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए . इस दौरान पुलिस के साथ कई झड़प के दृश्य भी सामने आए. सेंट्रल दिल्ली के आईटीओ में प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले छोड़े गए. लेकिन, प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड को तोड़कर पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया और पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की. हालांकि, किसानों के उग्र प्रदर्शन से किसान नेताओं ने पल्ला झाड़ लिया है. गौरतलब है कि किसान संगठन केन्द्र सरकार की तरफ से सितंबर महीने में लाए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोधस्वरुप पिछले करीब महीने से भी ज्यादा वक्त से दिल्ली और इसके आसपास के सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इन प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ ही एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाए. जबकि सरकार का कहना है कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और नए निवेश के अवसर खुलेंगे.

     किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020   किसानों को अपनी उपज को कृषि उपज मंडी  बाजारों के बाहर बेचने की अनुमति देता है.  इसलिए, किसानों के पास स्पष्ट रूप से अधिक विकल्प हैं कि वे किसे बेचना चाहते हैं. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता विधेयक अनुबंध खेती के लिए एक रूपरेखा की स्थापना के लिए प्रावधान करता है. किसान और एक खरीदार उत्पादन होने से पहले एक सौदा कर सकते हैं. किसानों की आपत्तियां देखे तो वो कहते है कि  अध्यादेशों की घोषणा के समय और बाद में संसद के माध्यम से विधेयकों को आगे बढ़ाने के दौरान केंद्र सरकार द्वारा कोई परामर्श नहीं किया गया था. कृषि बाजारों में वैश्विक अनुभव यह दर्शाता है कि किसानों के लिए एक सुनिश्चित भुगतान गारंटी बड़े व्यवसाय के हाथों किसानों के शोषण का परिणाम है. इससे छोटे और सीमांत किसानों को खतरा है जो कुल किसानों का 86% हिस्सा हैं.

  ✍ - डॉo सत्यवान सौरभ,
(बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.10.2022-सोमवार.