साहित्यशिल्पी-खुलने लगे स्कूल, हो न जाये भूल [आलेख]-अ

Started by Atul Kaviraje, November 01, 2022, 08:53:33 PM

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Atul Kaviraje

                                    "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "खुलने लगे स्कूल, हो न जाये भूल [आलेख]" 

                     खुलने लगे स्कूल, हो न जाये भूल [आलेख] –
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     1 जनवरी से केरल, कर्नाटक और असम के स्‍कूलों को दोबारा से खोला गया है। बिहार सरकार के आदेशानुसार 4 जनवरी 2021 से राज्य भर के सभी सरकारी स्कूलों और कोचिंग सेंटरों को खोल दिया जाएगा। महाराष्ट्र में 9वीं से 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए 4 जनवरी से स्‍कूलों को खोला जाएगा। इनमें कोविड-19 दिशानिर्देशों का सख्‍ती से पालन होगा। इससे पहले उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, झारखंड और सिक्किम में पहले से ही स्कूल आंशिक रूप से खुल चुके हैं। हालाँकि कुछ राज्यों ने अभी स्कूल नहीं खोलने का फैसला लिया है। राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली की सरकार का कहना है कि जब तक कोविड-19 वैक्‍सीन नहीं आ जाता तब तक स्कूल खोलना सही नहीं है। मुंबई में कोरोना के नए स्ट्रेन को देखते हुए 15 जनवरी तक स्कूल बंद रखने का फैसला किया गया है। पश्चिम बंगाल में इस साल न तो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक की परीक्षाएं होंगी, न ही स्कूल खुलेंगे।

     अब जब धीरे धीरे स्कूल, कॉलेजों को खोला जा रहा है, तो किस तरह के एहतियात बरतने की ज़रूरत है, क्या सावधानियां बरतनी होंगी क्यूंकि कोरोना महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है। देश भर के विश्वविद्यालयों और स्कूलों को मार्च के मध्य में बंद कर दिया गया था, जब केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के उपायों के तहत देशभर में शिक्षण संस्थान बंद करने की घोषणा की थी। उसके बाद, 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया। सरकार ने 8 जून से 'अनलॉक' के तहत धीरे-धीरे प्रतिबंधों को कम करना शुरू कर दिया। महामारी के बीच विद्यालयों एवं पीयूसी को खोलने को लेकर देश भर में कुछ विरोध भी है जबकि कई लोगों का विचार है कि सुरक्षा कदमों के साथ विद्यालयों और कॉलेजों का खोला जाना, खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में जरूरी हो गया है क्योंकि ऑनलाइन शिक्षा ज्यादातर नदारद है जिससे उनके मजदूरी करने के मामले भी सामने आए हैं।

     कोविड-19 के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए दुनिया भर में स्कूलों को बंद करने से कई स्वास्थ्य जोखिमों का पता चला है, जिसमें सबसे अधिक बच्चों पर प्रभाव है। कई बच्चे स्कूल के भोजन से चूक गए। उन पर मानसिक स्वास्थ्य के नकारात्मक प्रभाव देखे गए। नेशनल काउंसिल फॉर डिसीज कंट्रोल के डैशबोर्ड पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोविद -19 के 11.89% मामले 20 से कम उम्र के हैं। भारत में स्कूल क्लोजर ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में नामांकित 247 मिलियन बच्चों और 28 मिलियन बच्चों को प्रभावित किया है जो आंगनवाड़ी केंद्रों में प्री-स्कूल शिक्षा में भाग ले रहे थे। कोविद -19 ने नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में भारत द्वारा किए गए प्रयास के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है, जिसने हाल के वर्षों में सुधार देखा। देश भर के सरकारी स्कूलों ने पानी की गुणवत्ता, स्वच्छता और स्वच्छता सुविधाओं तक बेहतर पहुंच की पहले से ही कमी है, वे बंद हैं और सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

– प्रियंका सौरभ
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.11.2022-मंगळवार.