हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-65-मदर डे

Started by Atul Kaviraje, November 02, 2022, 08:59:36 PM

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Atul Kaviraje

                                    "हिंदी कविता"
                                   पुष्प क्रमांक-65
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-65. इस कविता का शीर्षक है- "मदर डे"

(Mother's Day Hindi Poetry – मदर डे पर हिंदी कविता)
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                                       "मदर डे"
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मदर डे की सुबह, मेरी बेटी ने सुंदर कार्ड थमाया
बोली प्यार से यूं मां, खास आपके लिये बनाया

देख नन्ही कलाकारी , मेरा मन हर्षाया
उसमें उडेला प्यार देख, मेरा मन भर आया

उसी लम्हा, अपनी मां का चेहरा याद आया
मदर डे के बारे ओर जानने को, उनको फोन घुमाया

पूछा मां, क्या कभी आपने भी मदर डे मनाया ?
हंस के बोली मेरी मां, था तब ऐसा ज़माना कहाँ

मदर डे मनाने की किसको फुरसत मिलती थी
एक को पाला, एक को जन्मा, यूं ही जिंदगी चलती थी

मदर डे, चिल्ड्रन डे, आजकल के चोंचले
देखने हो सही मायने प्यार के, तो झांको चिड़ियों के घौंसले

क्या हुआ तन है छोटा, पर बड़े हैं हौंसले
उनका हर दिन लेबर-डे, हर रात मदर- डे होती है

दू-दूर से तिनके लाकर, अपना आशियां संजोती है
दाना-दाना मुंह में डाल, बच्चों का पेट भरती है

फिर ओर भोजन की तलाश में, नई उड़ानें भरती है
शाम से पहले घर को लौटे, यूं फर्ज अदा करती है

कोई डे मनाना हो, तो छोड़िये बेकार के ताम-झाम
अपना समय और धन लगाओ, किसी नेक काम

मदर डे को ढकिऐ, किसी अधनंगी मां का तन
चिल्ड्रन डे मनाओ, दे के भूखे बच्चों को अन्न

लेबर-डे को मत दुखाओ, किसी गरीब का मन
ऐसे करके आप करेंगे, एक पंथ दो काज़
एक आपका चोंचला हो जायेगा, दूजा बनेगा सुखी समाज

--✍🏻-रजनी विजय सिंगला.
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.11.2022-बुधवार.