अवधूत गुप्ते, स्वप्नील बांदोडकर-परी म्हणू की सुंदरा

Started by Atul Kaviraje, November 02, 2022, 09:13:50 PM

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Atul Kaviraje

मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज ऐकुया, "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !" या गीत-मालिके -अंतर्गत, श्री अवधूत गुप्ते, स्वप्नील बांदोडकर यांनी गायिलेले एक गीत. या गीताचे शीर्षक आहे- "परी म्हणू की सुंदरा"

                                 "परी म्हणू की सुंदरा"
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परी म्हणू की सुंदरा तिची तऱ्हा असे जरा निराळी
तिची अदा करी फिदा ही मेनका कुणी जणु निघाली

तिचे वळून पाहणे
मधाळ गोड बोलणे
कधी खट्याळ हासणे
हळूच जीभ चावणे
मोकळा करुन मीच हे कधीच दिल तिच्या हवाली

हजारदा ती भेटते
बोलुबोलु वाटते
बोलणे मनातले
परि मनीच राहते
मोहिनी तिची अशी फुले जशी हजार भोवताली

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गीत : गुरु ठाकूर
संगीत : अवधूत गुप्ते
स्वर : अवधूत गुप्ते,स्वप्नील बांदोडकर
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--प्रकाशक : शंतनू देव
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(WEDNESDAY, MAY 18, 2011)
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                 (साभार आणि सौजन्य-माणिक-मोती.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                             (संदर्भ-♫ गाणीमराठी.com ♫♪)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-02.11.2022-बुधवार.