लफ़्ज़ों का खेल-काला बाज़ार-रिमझिम के तराने ले के आई बरसात

Started by Atul Kaviraje, November 03, 2022, 09:13:43 PM

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Atul Kaviraje

                                    "लफ़्ज़ों का खेल"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "लफ़्ज़ों का खेल" इस शीर्षक के अंतर्गत, "मो.रफ़ी, गीता दत्त" की आवाज मे "काला बाज़ार" फिल्म का गीत.

                           "रिमझिम के तराने ले के आई बरसात"
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रिमझिम के तराने ले के आई बरसात
याद आये किसी से वो पहली मुलाक़ात
रिमझिम के तराने...

भीगे तनमन पड़े रस की फुहार
प्यार का संदेसा लाई बरखा बहार
मैं ना बोलू आँखे करे अँखियों से बात
रिमझिम के तराने...

सुन के मतवाले काले बादलों का शोर
रुमझुम, घुमघुम नाचे मन का मोर
सपनों का साथी चल रहा है मेरे साथ
रिमझिम के तराने...

जब मिलते हो तुम तो
छिड़ते हैं दिल के तार
मिलने को तुमसे मैं
क्यूँ था बेकरार
रह जाती हैं क्यों होठों तक
आ के दिल की बात
रिमझिम के तराने...

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रिमझिम के तराने ले के -Rimjhim Ke Tarane Le Ke
Movie/Album: काला बाज़ार (1960)
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मो.रफ़ी, गीता दत्त
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               (साभार एवं सौजन्य-हिंदी लैरिकस प्रतीक.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                       (संदर्भ-Lyrics In Hindi-लफ़्ज़ों का खेल)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-03.11.2022-गुरुवार.