निबंध-क्रमांक-68-समय का सदुपयोग पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, November 05, 2022, 09:14:43 PM

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Atul Kaviraje

                                      "निबंध"
                                    क्रमांक-68
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- "समय का सदुपयोग पर निबंध"

समय का सदुपयोग पर निबंध – Samay ka sadupayog Essay in Hindi--
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     सही समय पर किए गए कार्यों का परिणाम सदैव अच्छा होता है। किसी भी सफलता का रहस्य समय की गति और उसके महत्व को पहचानने में निहित है। समय को सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण एवं मूल्यवान धन माना गया है। अंग्रेजी में एक प्रसिद्ध कहावत है: "The time is gold" अर्थात् समय ही सोना अर्थात मूल्यवान धन है। इस धन का उचित उपयोग करना जिसने सीख लिया उसके लिए संसार में अन्य कुछ भी अर्जित करना कठिन नहीं रह जाता। संसार की अन्य धन-संपत्तियाँ तो नष्ट हो जाने पर पुन: अर्जित की जा सकती है; पर समय रूपी धन-संपत्ति के एक बार हाथ से निकल जाने के उपरांत उसे लौटाया नहीं जा सकता। इसी कारण समय को सर्वाधिक मूल्यवान धन मान कर उसका हर तरह से सदुपयोग करने की बात कही जाती है।

     कुछ लोग झूठ-भ्रम के शिकार हो, यह सोच कर हाथ-पर-हाथ धरे बैठे रहते हैं कि अभी उपयुक्त समय नहीं है, जब अच्छा समय आएगा, तब यह काम कर लेंगे। ऐसे लोग शायद यह भूल जाते हैं कि बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता। वह तो निरंतर जाता रहता है। हम निरंतर कर्म करते रह कर ही समय का सदुपयोग कर सकते हैं। अच्छे कर्म करके स्वयं अच्छे रह कर ही समय को अपने लिए अच्छा, सौभाग्यशाली एवं प्रगतिशील बनाया जा सकता है। इसके अलावा अन्य कोई गति नहीं। अन्य सभी बातें तो समय को व्यर्थ गंवाने वाली हैं। बुरे कर्म और बुराई तथा बुरे व्यवहार अच्छे समय को भी बुरा बना देते हैं।

     संसार में समय के रुख, समय के चक्र पहचान कर, उचित ढंग से उचित रीति-नीति से उचित काम करने वाला व्यक्ति ही हर तरह से सफलता का अधिकारी बन पाता है। हर आदमी के जीवन में एक-न-एक बार वह समय जरूर आता है जब यदि व्यक्ति उसे पहचान – परख कर उस समय अपना कार्य शुरु कर दे, तो कोई कारण नहीं कि उसे सफलता न मिल पाए। शेक्सपीयर ने अपने नाटक में 'जूलियस सीजर' के मुख से ही कहलवाया है कि "There is a tide of time" अर्थात् समय का एक पल ऐसा भी होता है कि उसे जान लेने वाला व्यक्ति कहाँ-से-कहाँ पहुँच जाया करता है। समय को पहचान कर इस तरह उचित कार्य करना ही समय का सदुपयोग कहलाता है।

     लोक-जीवन में कहावत प्रचलित है कि पलभर का चूका आदमी मीलों पीछे हो जाता है। उस उचित पल को पहचान कर समय पर चल देने वाला व्यक्ति अपनी मंजिल भी उचित एवं निश्चित रूप से प्राप्त कर लेता है। स्पष्ट है कि जो चलेगा, वही आगे बढ़ेगा और अंतत: मंजिल पर पहुँच पाएगा। खड़ा रहने वाला व्यक्ति मंजिल पाने के मात्र सपने ही देख सकता है, व्यवहार के स्तर पर उसकी परछाई का भी स्पर्श नहीं कर सकता। इसलिए आदमी को जो भी वह करना चाहता है, तुरंत आरंभ कर देना चाहिए। आज का काम कल पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए। अपने कर्तव्य कर्म को करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। कार्य छोटा है या बड़ा, यह भी नहीं सोचना चाहिए। क्योंकि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। अच्छा और सावधान व्यक्ति अपने सद्व्यवहार, अच्छी नीयत और समय के सदुपयोग से छोटे अथवा साधारण कार्य को भी बड़ा और विशेष बना देता है।

--AUTHOR UNKNOWN
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी लर्निंग.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.11.2022-शनिवार.