विचार वर्षा-आत्ममुग्धता, सती अनुसूया और नववर्ष के संकल्प -क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, November 06, 2022, 10:36:26 PM

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Atul Kaviraje

                                      "विचार वर्षा"
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मित्रो,

     आज पढते है, डॉ.वर्षा सिंह इनके "विचार वर्षा" इस ब्लॉग का एक लेख. इस लेख का शीर्षक है- "आत्ममुग्धता, सती अनुसूया और नववर्ष के संकल्प"

प्रिय मित्रों, "विचार वर्षा"...   मेरे इस कॉलम में आज प्रस्तुत है मेरा आलेख -  "आत्ममुग्धता, सती अनुसूया और नववर्ष के संकल्प"
हार्दिक धन्यवाद युवा प्रवर्तक 🙏🌹🙏

बुधवारीय स्तम्भ : विचार वर्षा

आत्ममुग्धता, सती अनुसूया और नववर्ष के संकल्प -क्रमांक-१--   
    -डॉ.वर्षा सिंह
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     नववर्ष 2021 के आगमन में मात्र एक दिन शेष है .... और अनेक खट्टी मीठी यादें छोड़ कर जाते हुए वर्ष 2020 के इन अंतिम दिनों की सुबह, अख़बार में स्थानीय समाचारों वाले पृष्ठ पर प्रकाशित एक समाचार ने मन विचलित कर दिया। समाचार एक बाइक दुर्घटना में जान से हाथ धो बैठे युवक से संबंधित था। उस युवक को मैं जानती थी। वह कुछ महीनों के लिए आउटसोर्सिंग के ज़रिए विद्युत विभाग में लाइन परिचारक के रूप में काम कर चुका था। वहां किसी मसले पर प्रभारी कनिष्ठ अभियंता यानी अपने बॉस से खटपट हो जाने के कारण उसने वह जॉब छोड़ दिया था और स्वतंत्र रूप से इलेक्ट्रीशियन का काम करने लगा था। तब यही सुना था कि वह अपने आपको दुनिया से ऊपर समझता था, सही है तो वह स्वयं, बाकी सभी लोग ग़लत हैं। या यह कह सकते हैं वह एक तरह की आत्ममुग्धता यानी नॉर्सिसिज़म का शिकार था। समाचार में दुर्घटना की वज़ह उस युवक द्वारा एक ट्रक को ओव्हरटेक करने में हुई चूक को बताया गया था। ओव्हरटेक करते समय ऐसी चूक हो जाना ही घातक दुर्घटना का कारण बनती है। प्रायः बाईक चालक आत्ममुग्धताजनित ओव्हरकांफिडेंस की वज़ह से ही सामने जा रही गाड़ी की रफ़्तार का सही अंदाज़ा नहीं लग पाता और रफ़्तार का सही- सही आकलन नहीं कर पाने के कारण उस गाड़ी के रांग साइड वाले बाजू से निकल कर आगे बढ़ने की चाहत ही ऐसी घातक सड़क दुर्घटना का कारण बन जाती है।

     आत्मगौरव यानी सेल्फकांफिडेंस जितना लाभप्रद सिद्ध होता है उतनी ही आत्ममुग्धता यानी नॉर्सिसिज़म घातक सिद्ध होती है। यह आत्ममुग्धता प्रायः घमण्ड का भी कारण बन जाती है। इसके अनेक रूप हैं, अनेक उदाहरण हैं। आजकल तो यह फैशन बन गया है। नम्रता विलुप्त होती जा रही है और स्वयं को मानो सर्वशक्तिमान भगवान समझ कर दूसरों को स्वयं से कमतर, उपेक्षित समझने- आंकने का चलन बढ़ता जा रहा है।

     प्रसंगवश मैं स्मरण दिलाना चाहूंगी कि  परी कथाओं में "स्नो व्हाइट और सात बौने" की कहानी में यही हुआ था। यूरोप की एक बहुप्रचलित लोककथा के अनुसार किसी राज्य में एक राजा की रानी ने एक सुन्दर सी बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने स्नो व्हाइट रखा। पूरे राज्य में खुशियां ही खुशियां थी, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकी। कुछ दिनों बाद जब राजा और रानी जंगल में घूमने गए, तो एक जादूगरनी ने मौका पाकर रानी को चिड़िया बना दिया और अपने पास पिंजरे में कैद कर लिया। रानी के अचानक गायब होने से राजा को लगा कि रानी की मौत हो गई। राजा बहुत दुखी हुए और उन्होंने स्नो व्हाइट की देखभाल और मां के प्यार के लिए दोबारा शादी की। लेकिन, जिससे उन्होंने शादी की, वो वही जादूगरनी थी जिसने रानी को चिड़िया बनाकर कैद कर लिया था। उस जादूगरनी ने रूप बदलकर राजा के साथ शादी की थी। उसकी चिड़िया को देख स्नो व्हाइट बहुत खुश हुई और उसने वो चिड़िया उससे मांग ली। इस बात से अनजान की वो चिड़िया उसकी मां है, स्नो व्हाइट उसे बहुत प्यार से अपने पास रखती। उस जादूगरनी को इस बात का घमण्ड था कि वह पूरी दुनिया में सबसे खूबसूरत है। उस जादूगरनी के पास एक जादुई आईना था, जिससे वह घमण्ड की हद तक जा पहुंचे आत्ममुग्धता या नॉर्सिसिज़म में भर कर हर रोज पूछती कि "ऐ मेरे आईने, बता कि दुनिया में सबसे सुंदर कौन है?" हर बार आईने का जवाब होता - "मेरी मलिका, आप ही हैं दुनिया की सबसे सुंदर औरत। "

     लेकिन जब स्नो व्हाइट जब बड़ी हुई तो उस आईने ने का जवाब बदल गया। जादूगरनी को पूछने पर वह कहने लगा - "मेरी मलिका, आप हैं दुनिया की सबसे सुंदर औरत। लेकिन आपसे भी ज़्यादा सुंदर है स्नो व्हाइट ।"

     यह सुनकर जादूगरनी को बहुत गुस्सा आता। एक दिन उसने फैसला कर लिया कि वो स्नो व्हाइट को मार डालेगी। फिर उसने स्नो व्हाइट की जान लेने के तरह-तरह के प्रयास किए, लेकिन स्नो व्हाइट जंगल में भाग गई। जादूगरनी ने समझा कि स्नो व्हाइट मर चुकी है और वह ख़ुश हो गई।

     स्नो व्हाइट जब वह जंगल में भटक रही थी कि उसकी नजर एक छोटी-सी झोपड़ी पर गई। वहां, उसने देखा कि बहुत छोटी-छोटी सात प्लेट लगी हैं और उसमें कई तरह के भोजन हैं। स्नो व्हाइट को भूख भी लगी थी, तो उसने हर प्लेट में से थोड़ा-थोड़ा भोजन कर लिया और फिर वहां लगे सात बिस्तर में से एक  पर लेट गई। लेटे-लेटे उसे नींद आ गई और वो सो गई। तभी वहां सात बौने आए। जैसे ही उनकी नजर स्नो व्हाइट पर पड़ी, उसकी खूबसूरती देख बौने उसे देखते ही रह गए। तभी स्नो व्हाइट की नींद खुली और उसने डरते हुए बौनों को सारी बात बताई। बौने उसकी बात सुनकर चौंक गए और उन्होंने स्नो व्हाइट को हमेशा अच्छा खाना बनाने और उनके घर की देखरेख करने की शर्त पर अपने साथ रख लिया।

(क्रमशः)
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--डॉ.वर्षा सिंह
(Wednesday, December 30, 2020)
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-विचार वर्षा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.11.2022-रविवार.