आपकी जिंदगी-कविता-मन की व्यथा

Started by Atul Kaviraje, November 06, 2022, 10:40:22 PM

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Atul Kaviraje

                                    "आपकी जिंदगी"
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मित्रो,

     आज पढते है, भारत ठाकूर, इनके "आपकी जिंदगी" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "मन की व्यथा"

                                     मन की व्यथा--
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आज फिर उन बातों को हवा दे गई
जिसे दवा रखा था हृदय के किसी कोने में
आज फिर उसे जगा गई
मन शांत, तन शिथिल, धड़कन तेज़ और
शिलाओं को क्षणभंगु का आभास करा  गई
उनकी मार्ग-दर्शन को ज्ञातव्य न करने के लिए
मेरी उन्मुद चेतना सुला गई
सोचा करें शिकायत, पर निशा बीती
प्रभाकर आया और उनकी खुशियों
की कामनाएं दिल से निकल गई
मुरली मनोहर का इस तृण ने ध्यान किया
हो गगनचुम्बी पद उनकी यही अरमान किया
तृण की व्यथा से व्यापक, देवी उनको
रुब-रु करा गई
आज फिर उन बातों को हवा दे गई 

--प्रस्तुतकर्ता-भारत ठाकूर
(गुरुवार, 30 अप्रैल 2020)
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-आपकी जिंदगी.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.11.2022-रविवार.