आध्यात्मिक यात्रा-कविता-वन्दना

Started by Atul Kaviraje, November 14, 2022, 10:14:15 PM

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Atul Kaviraje

                                   "आध्यात्मिक यात्रा"
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मित्रो,

     आज पढते है, कैलाश शर्मा, इनके "आध्यात्मिक यात्रा" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "वन्दना"

                                          वन्दना--
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शक्ति देना, प्रभु मुझे तुम शक्ति देना.

ज्ञान का सागर गहन गंभीर है,
पार करना कठिन, क्षुद्र नौका के सहारे.
आयेंगे अज्ञान के तूफ़ान गहरे,
रास्ते बन जायें लहरें, प्रेम के तेरे सहारे.

है बहुत कमजोर यह पतवार मेरी,
शक्ति देना, प्रभु मुझे तुम शक्ति देना.

भक्ति तेरी ही असीमित शक्ति है,
चल पड़ा हूँ आज मैं इसके सहारे.
राह के कंटक बनेंगे फूल मुझको,
यह रहे विश्वास, छूटें न किनारे.

डगमगाये न कभी विश्वास तुम पर,
शक्ति देना, प्रभु मुझे तुम शक्ति देना.

तन को कब समझा था अपना,
मन समर्पित आज तुमको कर दिया है.
कैसे भव सागर करूँगा पार प्रभु,
बोझ यह भी आज तुम को दे दिया है.

मन रहे पावन तुम्हारे मिलन पर,
शक्ति देना, प्रभु मुझे तुम शक्ति देना.

--कैलाश शर्मा
(Friday, 23 March 2012) 
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-आध्यात्मिक यात्रा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.11.2022-सोमवार.