बोल सखी रे-कविता-जिन्हे दीवाली पसंद थी

Started by Atul Kaviraje, November 14, 2022, 10:18:08 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                    "बोल सखी रे"
                                   --------------

मित्रो,

     आज पढते है, "बोल सखी रे" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "जिन्हे दीवाली पसंद थी"

                                   जिन्हे दीवाली पसंद थी--
                                  --------------------

जिन्हे दीवाली पसंद थी ;
उन्होंने रंगो को उजाला समझा,

मुस्कानों को फुलझडियां,
बेटियों को लक्ष्मी,

किताबों को सरस्वती,
पुत्रों को संपदा

पुत्र वधुओं को समृद्धि,

और

स्वयं को समझा कुम्हार !
बना ही लेगा जीवन को दीप सा

ऊर्जा से भर देगा धरती, आकाश,
दीप्त करेगा संसार,

चाक पर घूमता जी लेगा जीवन।

--सखी
(अक्तूबर 21, 2022)
--------------------

               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-बोल सखी रे.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
              -------------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.11.2022-सोमवार.