साहित्यशिल्पी-बदलते परिदृश्य में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता - [आलेख] – क्रमांक-१

Started by Atul Kaviraje, November 15, 2022, 09:38:52 PM

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Atul Kaviraje

                                    "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "बदलते परिदृश्य में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता - [आलेख]" 

        बदलते परिदृश्य में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता - [आलेख] – क्रमांक-१--
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बदलते परिदृश्य में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता - [आलेख]- सुशील शर्मा--

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सुशील कुमार शर्मा व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाध‍ि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप एक उत्कृष्ट शिक्षा शास्त्री के आलावा सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं| अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में शिक्षा से सम्बंधित आलेख प्रकाशित होते रहे हैं |

आपकी रचनाएं समय-समय पर देशबंधु पत्र ,साईंटिफिक वर्ल्ड ,हिंदी वर्ल्ड, साहित्य शिल्पी ,रचना कार ,काव्यसागर, स्वर्गविभा एवं अन्य वेबसाइटो पर एवं विभ‍िन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाश‍ित हो चुकी हैं।

आपको विभिन्न सम्मानों से पुरुष्कृत किया जा चुका है जिनमे प्रमुख हैं--

1.विपिन जोशी रास्ट्रीय शिक्षक सम्मान "द्रोणाचार्य "सम्मान 2012
2.उर्स कमेटी गाडरवारा द्वारा सद्भावना सम्मान 2007
3.कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए नरसिंहपुर जिला द्वारा सम्मान 2002
4.नशामुक्ति अभियान के लिए सम्मानित 2009

इसके अलावा आप पर्यावरण ,विज्ञान, शिक्षा एवं समाज के सरोकारों पर नियमित लेखन कर रहे हैं |

     भाषा भावों और विचारो की संवाहक होती है। भाषा का स्‍वरूप निरंतर बदलता रहता है और यह सभी भाषाओं के बारे में कहा जा सकता है। हम सभी इस तथ्‍य से अवगत हैं कि वर्तमान हिंदी का उद्भव संस्‍कृत भाषा से हुआ है और काल के अनुसार यह पालि, प्राकृत और अपभ्रंश का चोला बदलती हुयी वर्तमान स्‍वरूप को प्राप्‍त हुयी।
हिंदी एक आधुनिक भारत-आर्य भाषा है तथा यह भारतीय-यूरोपीय भाषाओं के परिवार से संबंधित भाषा है , और संस्कृत की वंशज है, जो भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमाओं में आर्यन बसने वालों की बोली से उद्भूत है । समय की अवधि के साथ विकास के विभिन्न चरणों से गुजरती हुई शास्त्रीय संस्कृत से पाली-प्राकृत और अपभ्रंश तक, हिंदी का उद्भव 10 वीं शताब्दी में पाया जाता है। हिंदी को हिंदवी, हिंदुस्तान और खड़ी -बोली के रूप में भी जाना जाता था । देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी (जो विश्व की वर्तमान लेखन प्रणाली के बीच सबसे वैज्ञानिक लेखन प्रणाली है) भारत गणराज्य की राष्ट्रीय आधिकारिक भाषा है और इसे दुनिया के सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा के रूप में स्थान दिया गया है। इसके अलावा, हिंदी बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्य की राज्य भाषा भी है। दुनिया भर में लगभग छह सौ मिलियन लोग हिंदी को पहली या दूसरी भाषा के रूप में बोलते हैं। हिंदी का साहित्यिक इतिहास बारहवीं शताब्दी में पाया जाता है।

     भारतीय -आर्यन भाषाओं के विकास के तीन अलग-अलग चरणों को विद्वानों द्वारा सुझाया गया है। वे हैं: (ए) प्राचीन (2400 ईसा पूर्व - 500 ईसा पूर्व), (बी) मध्ययुगीन (500 ईसा पूर्व - 1100 ईस्वी) और (सी) आधुनिक (1100 -)। प्राचीन काल वैदिक और शास्त्रीय संस्कृत की अवधि है जिसके परिणामस्वरूप मध्यकालीन काल के दौरान पाली, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओँ का विकास हुआ। दक्षिण एशिया की अधिकांश आधुनिक भारत-आर्य भाषाएं, जैसे हिंदी, बांग्ला, उडिया, गुजराती, नेपाली, मराठी, पंजाबी, आधुनिक 'काल' में विकसित हुईं।

--सुशील शर्मा
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.11.2022-मंगळवार.