लफ़्ज़ों का खेल-रात और दिन-दिल की गिरह खोल दो

Started by Atul Kaviraje, November 17, 2022, 09:30:54 PM

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Atul Kaviraje

                                     "लफ़्ज़ों का खेल"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "लफ़्ज़ों का खेल" इस शीर्षक के अंतर्गत, "लता मंगेशकर, मन्ना डे" की आवाज मे "रात और दिन" फिल्म का गीत.

                                 "दिल की गिरह खोल दो"
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दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
दिल की गिरह खोल दो...

मिलने दो अब दिल से दिल को
मिटने दो मजबूरियों को
शीशे में अपने डुबो दो
सब फ़ासलो दूरियों को
आँखों में मैं मुस्कुराऊँ तुम्हारी
जो तुम मुस्कुराओ
महफ़िल मे अब कौन...

हम तुम ना हम तुम रहें अब
कुछ और ही हो गये अब
सपनों के झिलमिल नगर में
जाने कहाँ खो गये अब
हमराह पूछे किसी से
न तुम अपनी मंज़िल बताओ
महफ़िल मे अब कौन...

कल हमसे पूछे ना कोई
क्या हो गया था तुम्हें कल
मुड़कर नहीं देखते हम
दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कहीं रह गये
अब उन्हें मत बुलाओ
महफ़िल मे अब कौन...

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दिल की गिरह - Dil Ki Girah
Movie/Album: रात और दिन(1967)
Music By: शंकर-जयकिशन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: लता मंगेशकर,मन्ना डे
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              (साभार एवं सौजन्य-हिंदी लैरिकस प्रतीक.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                      (संदर्भ-Lyrics In Hindi-लफ़्ज़ों का खेल)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.11.2022-गुरुवार.