अंतर्द्वंद्व-कुछ दावे और उनकी सच्चाइयाँ

Started by Atul Kaviraje, November 24, 2022, 09:25:45 PM

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Atul Kaviraje

                                         "अंतर्द्वंद्व"
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मित्रो,

     आज पढते है, "अंतर्द्वंद्व" इस ब्लॉग का एक लेख. इस लेख का शीर्षक है- "कुछ दावे और उनकी सच्चाइयाँ"


                             कुछ दावे और उनकी सच्चाइयाँ--
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1
दावा :व‍ह कहता था कि व‍ह हमेशा दूसरों के बारे में सोचता है...
सच्चाई :पर उसने य़ह कभी नहीं बताया कि व‍ह हरदम उनके  बारे में बुरा सोचता है।

2
दावा :व‍ह कहता है कि व‍ह खुद की  परवाह नहीं करता।

सच्चाई :दरअसल व‍ह आलसी है। जो अपनी परवाह नहीं कर सकता, व‍ह दूसरों की क्या करेगा??

3
व‍ह कहता है - कि मैं तुम्हारे लिए ईश्वर से प्रार्थना करूँगा।

सच्चाई :सब कहने की बातें हैं... वो तो बस बहती गंगा में हाथ धोने के इरादे से मित्रों के साथ थोड़ी सहानुभूति जताने के लिए उसके पास गया था।

4
व‍ह कहता था तुम ही तो मेरे सच्चे मित्र हो...
सच्चाई :दरअसल  व‍ह उससे अपना गृहकार्य पूरा करने के लिए उसे थोड़ा चढ़ा देता था।

5
व‍ह कहता है कि व‍ह बहुत दयालु है.. भूखे गरीबों की सेवा करके उसे आनंद की अनुभूति होती है।

सच्चाई : दरअसल फेसबुक पर बहुत दिनों से उसे  लाइक और कमेन्ट आने बंद हो गए थे तो गरीब की सेवा करते हुए वीडियो बनाना जरूरी  हो गया था।

6
व‍ह सोशल मीडिया पर हर किसी की पोस्ट को व‍ह लाइक करता है।

सच्चाई :उसे अपने पोस्ट पर भी तो लाइक और कमेन्ट चाहिए  इसलिए दूसरों की पोस्ट लाइक करना उसकी मजबूरी है।

--सुधा सिंह व्याघ्र
(Friday, October 30, 2020)
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अंतर्द्वंद्व.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.11.2022-गुरुवार.