जिंदगी पर आधारित कविता-पुष्प क्रमांक-89-कोई अपना अपना न रहा

Started by Atul Kaviraje, November 26, 2022, 09:03:34 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                               "जिंदगी पर आधारित कविता"
                                      पुष्प क्रमांक-89
                              ---------------------------

मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ जिंदगी पर आधारित दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-89. इस कविता का शीर्षक है- "कोई अपना अपना न रहा"

     अगर आप भी इंटरनेट पर ढूंढ़ रहे थे लोकप्रिय हिंदी कविताएं तो बिल्कुल सही जगह पर हैं। हम लेकर आए हैं खास आपके लिए जिंदगी पर आधारित 35+ बेहतरीन कविताएं हिंदी में। इन कविताओं में कवि ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से जीवन का वर्णन किया है। इनमें आपको जीवन के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक, जीवन में आने वाले सभी पड़ावों ( सुख-दुःख, प्यार-मोहब्बत, दर्द, परेशानी ) के बारे में बखूबी बताया गया है।

     दोस्तों आपको तो पता ही है आजकल की दुनिया में लोग इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपनी ज़िन्दगी को सही ढंग से नही जी पा रहे और हमेशा उलझनों में घिरे रहना, छोटी छोटी बातों पर परेशान होना, हमेशा काम में बिज़ी रहना जैसे काम ही उनकी ज़िन्दगी में रह गया है। उन्हें पता ही नहीं जीवन का मतलब क्या होता है। यहां पर कवि ने इन कविताओं के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया है कि जिंदगी का सही मतलब क्या है। आपको इन कविताओं से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा जो आपकी ज़िन्दगी बदल देंगी।अभी पढ़ना शुरू कीजिए इस पोस्ट( hindi poems on life ) को और सुखमय जीवन का आनंद लीजिए और अपने मित्रों और परिवार वालों को भी सुनाईए उन्हें भी यह poetry जरूर पसंद आएगी।

ज़िन्दगी पर कविताएँ : कोई अपना अपना न रहा--
------------------------------------------

                              "कोई अपना अपना न रहा"
                             -------------------------

कोई अपना अपना न रहा
कोई सपना सपना न रहा।

पर कुछ सपनों के मर जाने से जीवन
नहीं मरा करता है।

कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं
मरा करता हैं।

यू तो बचपन के खिलौंने
देखकर आंखे भर आती है।

कुछ खिलौनो के खो जाने से
बचपन नहीं मरा करता है।

ये जिन्दगी हैं जनाब यहां तो
कुछ रिश्ते झूठे हैं,
कुछ रिश्ते सच्चे हैं,

पर कुछ मुखड़ों की नाराजी से
दर्पण नहीं मरा करता है।

--AUTHOR UNKNOWN
-------------------------

                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
               ---------------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.11.2022-शनिवार.