ज्योति-कलश-कविता-दामिनी तुम्हारे लिए !!

Started by Atul Kaviraje, November 26, 2022, 09:44:25 PM

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Atul Kaviraje

                                     "ज्योति-कलश"
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मित्रो,

     आज पढते है, डॉ•ज्योत्स्ना शर्मा, इनके "ज्योति-कलश" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "दामिनी तुम्हारे लिए !!"

                                   दामिनी तुम्हारे लिए !!--
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जो दिल ने कहा ........
विनम्र श्रद्धांजलि सहित !

दुखद है .....
जीवन की एक फ़रियाद गई
वो लेकर कैसी याद गई ...हम शर्मिन्दा हैं दामिनी !
दिवंगत आत्मा को शान्ति मिले ,
समस्त हिन्दुस्तान परिवार इस दुःख को सहन करने की सामर्थ्य पाए और हर दिल में उसकी यादों की शमा जलती रहे ...ऐसी प्रार्थनाओं के साथ
--ज्योत्स्ना शर्मा
Saturday, 29 December 2012
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बहुत ही कठिन है वो यादें भुलाना ,
हो दर्द दिल में मगर मुस्कुराना |
नहीं तेरा मेरा,ये आधे जहाँ का ,
कहा दर्द डूबी कलम ने फ़साना|
भर जायेंगें सब जख्म धीरे धीरे ,
निशाँ देखकर होगा मुश्किल भुलाना |
दिए हसरतों के ,ये तूफ़ान फिर भी ,
बुझा न सके ,चाहे कितना बुझाना |
मिलें मुश्किलें ,तार तेरा जिगर हो ,
मगर फ़र्ज़ से पग न पीछे हटाना ||
--ज्योत्स्ना शर्मा
28-12-12
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पोर पोर पीड़ा बसी ,अभी रहे जो मौन |
दुष्ट दुशासन को भला ,दंड दिलाये कौन ?????
अर्ज़ है ये कोई फरमान नहीं है ...संवाद हीनता समस्या का समाधान नहीं है |
.....ज्योत्स्ना शर्मा
24-12-12
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घोर घटाएँ हों भले ,दमक दामिनी आज ,
बनो उजाले की किरण ,जागे सकल समाज |
जागे सकल समाज , भरोसा देना होगा ,
तेरी ,हमें हिसाब , 'आह' का लेना होगा |
दोहरायें न और , निर्दयी व्यथा कथाएं ,
दमक दामिनी आज , भले घनघोर घटाएँ ||
.....दामिनी के साहस ,संकल्पशक्ति और जिजीविषा को ह्रदय से नमन ...ढेरों दुआओं के साथ
--ज्योत्स्ना शर्मा
23-12-12
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हमारी ,समाज की
पीड़ा की कोई सीमा न थी
एक दुखद ,कड़वा सत्य
अनावृत था ...और ...
'तमाशबीनों' के पास
चादर न थी ......
.इतने निर्मम
कैसे हो गए हम ???
.............ज्योत्स्ना ............
२१-१२-१२
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सुना था .....
सितारों से आगे भी उसका जहाँ है ,........
वही आज क्यूँ दर्द की इन्तेहाँ है |

वो कल भी'खबर'थी,वो अब भी 'खबर' है ;
संवेदना...सो गई अब ... किधर हैं ......

और ये भी ..

"सम्पूर्ण सुरक्षा "
वादा है हमारा |
नहीं टलेगा
किसी बहाने से |
बस ज़रा हमें
फुरसत तो मिले
'हुड़दंग' मचाने से ..!!!

पूरी आशा के साथ

--डॉ•ज्योत्स्ना शर्मा 
१९-१२-१२
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ज्योतिर्मय कलश.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.11.2022-शनिवार.