स्पर्श भावनाओं का-कविता-आजमाइश

Started by Atul Kaviraje, November 27, 2022, 09:28:15 PM

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Atul Kaviraje

                                    "स्पर्श भावनाओं का"
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मित्रो,

     आज पढते है, दीप्ति शर्मा, इनके "स्पर्श भावनाओं का" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "आजमाइश"

                                       आजमाइश--
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आजमाना न था साथी
जीवन की आजमाइश में
जिंदगी को तौलता तराजू
सूरज बना,

तुम कंधे पर बैठ उसके
थामनें लगे दुनिया
पकड़ने लगे पीलापन

मुट्ठी बंद करते ही
अंधेरा हो गया

पीलापन छूटा तो
आजमाया तुमनें
रिश्तों की गहराइयों को

अंधेरा हुआ तो
कंधा छूट गया
परछाई का साथ मिला

अब क्या
सूरज के कंधे की सवारी
चश्में के लेंस में दिख रही

तुम आजमाते रहे
जिंदगी नाचती रही
उजाला,अंधेरा हुआ

आँखों का चश्मा
जिंदगी की रौशनी ले
डूब गया अंततः ।

--दीप्ति शर्मा
(March 28, 2022)
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीप्ति 09 शर्मा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.11.2022-रविवार.