निबंध-क्रमांक-93-पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, November 30, 2022, 09:05:02 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                        "निबंध"
                                       क्रमांक-93
                                      -----------

मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध"

                               पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध --
                              ------------------------

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण (Pollution) के मुख्य कारण हैं-उद्योगों का कूड़ा-करकट, कार्बन, मोटर आदि वाहनों द्वारा छोड़ी जानेवाली जहरीली गैसों रेडियोधर्मी पदार्थ आदि। एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार हमारे वायुमंडल में विषाक्त रासायनिक पदार्थ इतने तीव्र गति से छोड़े जा रहे हैं कि इन सबके प्रभावों का आकलन करना कठिन हो रहा है। इराक़ पर हुई बम वर्षा और वहाँ के तेल कुओं में लगी आग से कितने टन विषाक्त पदार्थ वायुमंडल में फैले इसका अनुमान लगाना असंभव है। इतना ही जान लेना पर्याप्त है कि वहाँ पर दो-तीन बार काले पानी की वर्षा हुई ।

     वायु-प्रदूषण द्वारा होनेवाली मौतों का इतिहास अत्यंत दुखद है। सन् 1952 में लंदन में काला कोहरा (Black FOG) पड़ा था जिसमें मौजूद सल्फर डाई-ऑक्साइड गैस ने लगभग 4 हज़ार लोगों के प्राण ले लिए थे। इसी कड़ी में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कंपनी गैस कांड में 'मिक' गैस के रिसने से लगभग 2500 व्यक्तियों के मुंह में वह ज़हरीली गैस चली गई जिससे उनकी मृत्यु हो गई, इसके अलावा उसके दुष्प्रभाव को अभी भी हज़ारों लोग भोग रहे हैं।

     जीव-जंतुओं के अलावा पेड़-पौधे और भवन तक वायु-प्रदूषण द्वारा प्रभावित हो रहे हैं। आगरा के ताजमहल को वायु-प्रदूषण से बचाने की दृष्टि से उद्योगों को अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगाने पड़े हैं । वायु प्रदूषण का ही एक रूप कार्बनिक गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन है जिससे औज़ोन पर्त में छिद्र हो गया है तथा पराबैंगनी किरणों का दुष्प्रभाव धरती भोग रही है। इसी तरह इन ताप-अवशोषक गैसों में निरंतर हो रही वृद्धि से धरती का ताप बढ़ रहा है तथा धरती की वनस्पति एक नए संकट को झेल रही है।

ध्वनि-प्रदूषण: मशीनों की आवाज़ तथा लाउडस्पीकर आदि के कारण ध्वनि-प्रदूषण की समस्या भयंकर होती जा रही है । ध्वनि-प्रदूषण से मानव को अनेक मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकारों का सामना करना पड़ता है । शादी, उत्सवों, त्योहारों आदि अवसरों पर होनेवाला ध्वनि-प्रदूषण अनेक व्यक्तियों की नींद हराम करता रहता है।

     रसायनों एवं कीटनाशकों द्वारा प्रदूषण: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अधिकांश कीटनाशकों को विषैला घोषित कर दिया है। इसके बावजूद भारत में कीटनाशक दवाईयाँ एवं कृत्रिम उर्वरकों का प्रयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। 1971 से 1995 के बीच के दशक में हरित क्रांति की बड़ी भूमिका रही है किंतु इस अवधि में यूरिया, फासफोरस और पोटाश उर्वरकों के प्रयोग में लगभग छह गुना वृधि हुई है जिसकी किसानों को बड़ी लागत चुकानी पड़ रही है । कीटनाशकों का छिड़काव करनेवाले व्यक्तियों को रतौंधी, लकवा, मस्तिष्क-ज्वर एवं आँख पर दुष्प्रभाव आदि अनेक रोग तो होते ही हैं साथ ही फल, सब्जी आदि भी प्रभावित होते हैं जिसका बुरा असर उनका उपयोग करनेवालों पर होता है।

--AUTHOR UNKNOWN
-------------------------

                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी वार्ता.कॉम)
                    --------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.11.2022-बुधवार.