रविन्द्र साठे, रविन्द्र बिजूर, बेला-धुंद होते शब्द सारे धुंद होत्या भावना

Started by Atul Kaviraje, December 01, 2022, 09:19:20 PM

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Atul Kaviraje

मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज ऐकुया, "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !" या गीत-मालिके -अंतर्गत, श्री रविन्द्र साठे, रविन्द्र बिजूर, बेला यांनी गायिलेले एक गीत. या गीताचे शीर्षक आहे- "धुंद होते शब्द सारे धुंद होत्या भावना"

                         "धुंद होते शब्द सारे धुंद होत्या भावना"
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धुंद होते शब्द सारे धुंद होत्या भावना - 2
वार्या संगे वाहता त्या फुला पाशी थांबल्या

धुंद होते शब्द सारे धुंद होत्या भावना - 2
वार्या संगे वाहता त्या फुला पाशी थांबल्या

सैSये ... रमुनिया सार्या जगात रिक्त भाव असे
कैसे गुंफू गीत हे धुंद होते शब्द..

मेघा दाटुनी गंध लहरुनी बरसला मल्हार हा - 2
चांद राती भाव गुंतुनी बहरला निशीगंध हा
का कळेना काय झाले .. भास की आभास सारे
जीवनाचा गंध हा विश्रांत हा शांत हा

धुंद होते शब्द सारे धुंद होत्या भावना
सैSये ... रमुनिया सार्या जगात रिक्त भाव असे जरी
कैसे गुंफू गीत हे......

धुंद होते शब्द सारे धुंद होत्या भावना
धुंद होते शब्द सारे...
वार्या संगे वाहता त्या फुला पाशी थांबल्या

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गीत: कौस्तुभ सावरकर
गायक : रविन्द्र साठे, रविन्द्र बिजूर, बेला
संगीत : अमरत्य राउत
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--प्रकाशक : शंतनू देव
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                 (साभार आणि सौजन्य-माणिक-मोती.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                            (संदर्भ-♫ गाणीमराठी.com ♫♪)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.12.2022-गुरुवार.