उम्र सारी गुँजर गयी.....

Started by Ashok_rokade24, December 09, 2022, 12:18:51 AM

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Ashok_rokade24

उम्र सारी गुँजर गयी ,
हमदर्द की चाँह में  ,
न तो हम कभी मिले ,
न दर्दसे छुटकारा मिलाँ ॥

भीड बहुत थी आसपास ,
फिरभी तनहाँ थे हम ,
हम तो वफाँ करते रहें ,
सिला बे वफाँई से मिलाँ ॥

लाख जतन किये हमने ,
महल सपनो का सँजोयाँ ,
चिंगारी तो ऊन्होने लगायी ,
आशियाँना हमारा ही जलाँ ॥

पताँ न था इस जहाँ में ,
भरोसाँ करनाँ गुनाँह हैं ,
हम भरोसाँ करते रहें ,
हमें बस फरेबही मिलाँ ॥

अशोक मु.रोकडे .
मुंबई . ०७/१२/२०२२ .