जिंदगी पर आधारित कविता-पुष्प क्रमांक-102-ज़िन्दगी जीने के लिये भी वक्त नहीं

Started by Atul Kaviraje, December 09, 2022, 09:00:55 PM

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Atul Kaviraje

                               "जिंदगी पर आधारित कविता"
                                     पुष्प क्रमांक-102
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ जिंदगी पर आधारित दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-102. इस कविता का शीर्षक है- "ज़िन्दगी जीने के लिये भी वक्त नहीं"

     अगर आप भी इंटरनेट पर ढूंढ़ रहे थे लोकप्रिय हिंदी कविताएं तो बिल्कुल सही जगह पर हैं। हम लेकर आए हैं खास आपके लिए जिंदगी पर आधारित 35+ बेहतरीन कविताएं हिंदी में। इन कविताओं में कवि ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से जीवन का वर्णन किया है। इनमें आपको जीवन के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक, जीवन में आने वाले सभी पड़ावों ( सुख-दुःख, प्यार-मोहब्बत, दर्द, परेशानी ) के बारे में बखूबी बताया गया है।

     दोस्तों आपको तो पता ही है आजकल की दुनिया में लोग इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपनी ज़िन्दगी को सही ढंग से नही जी पा रहे और हमेशा उलझनों में घिरे रहना, छोटी छोटी बातों पर परेशान होना, हमेशा काम में बिज़ी रहना जैसे काम ही उनकी ज़िन्दगी में रह गया है। उन्हें पता ही नहीं जीवन का मतलब क्या होता है। यहां पर कवि ने इन कविताओं के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया है कि जिंदगी का सही मतलब क्या है। आपको इन कविताओं से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा जो आपकी ज़िन्दगी बदल देंगी।अभी पढ़ना शुरू कीजिए इस पोस्ट( hindi poems on life ) को और सुखमय जीवन का आनंद लीजिए और अपने मित्रों और परिवार वालों को भी सुनाईए उन्हें भी यह poetry जरूर पसंद आएगी।

ज़िन्दगी पर कविताएँ (Poetry On life values): ज़िन्दगी जीने के लिये भी वक्त नहीं--
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                          "ज़िन्दगी जीने के लिये भी वक्त नहीं"
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हर खुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हँसी के लिये वक्त नहीं,
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िन्दगी के लिये ही वक्त नहीं।

माँ की लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं,
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं।

सारे नाम मोबाईल में है,
पर दोस्ती के लिये वक्त नहीं,
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनों के लिये ही वक्त नहीं।

आँखों में है जींद बड़ी,
पर सोने का वक्त नहीं
दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं।

पैसों की दौड़ में ऐसे दौंड़े,
कि थकने का भी वक्त नहीं
पराये एहसानों की क्या कद्र करें,
जब अपने सपनों के लिये ही वक्त नहीं।

तु ही बता ए ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा?
कि हर पल मरने वालों को,
जीने के लिये भी वक्त नहीं...

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-09.12.2022-शुक्रवार.