काव्यालय कविता-कविता सुमन-2-अधूरी साधना

Started by Atul Kaviraje, December 14, 2022, 09:23:20 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                    "काव्यालय कविता"
                                      कविता सुमन-2
                                  -------------------

मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "काव्यालय कविता" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- " अधूरी साधना"

                                    "अधूरी साधना"
                                   --------------

अधूरी साधना
प्रियतम मेरे,
सब भिन्न भिन्न बुनते हैं
गुलदस्तों को,
भावनाओं से,
विचारों से।
मैं तुम्हे बुनूँ
अपनी साँसों से।
भावनायें स्थिर हो जाएँ,
विचारधारा भी,
होंठ भी मौन रहे -
और हर श्वास
नित तुम्हारा नाम कहे -
और तुम बुनते रहो।

एक घड़ी आएगी फिर
मेरी बंद पलकों के सम्मुख
तुम निराकार साकार होगे।
तुम बाहों में अपनी,
मेरी साँसों को समेट लोगे।
फिर न होगा मिलना,
न बिछड़ना, न जन्म-मरण,
न मैं।
सिर्फ तुम मेरे प्रियतम -
अपना स्वरूप पाकर -
अनंत।

--वाणी मुरारका
(5 Apr 2018)
---------------

                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-काव्यालय.ऑर्ग/युगवाणी)
                   ----------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.12.2022-बुधवार.