मला आवडलेल्या चारोळ्या-चारोळी क्रमांक-152

Started by Atul Kaviraje, December 17, 2022, 08:46:35 PM

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Atul Kaviraje

                                मला आवडलेल्या चारोळ्या
                                  चारोळी क्रमांक-152
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     --नवं-चारोळीकार  अतिशय  सोपी , साधी  अशी  मैत्रीची  व्याख्या  येथे  करीत  आहे . मैत्री  कशी  असते , याबद्दल  तो  म्हणतोय , की  मैत्रीचे  नाते  हे  फार  क्लिष्ट  नसावे , कठीण  नसावे , की  ते  जपण्यास  खूपच  कष्ट  पडावेत , ते  जपणे  फारच  कठीण  जावे . हे  मैत्रीचं  नातं  सर्व  नात्यात  अति-श्रेष्ठ  असते . या  श्रेष्ठत्वास  कशाचीही  उपमा  देता  येणार  नाही . हे  नाते  इतके  सहज , विनासायास  प्राप्त    केलेलं, झालेलं असतं , की  ते  टिकविण्यासाठीही  फारसे  काही  श्रम , कष्ट  करावे  लागत  नाहीत . हे  नाते  आपोआपच  पार  पडत  असते . फक्त  ते  जपणे  हेच  फार  महत्त्वाचे  असते . मैत्रीत  काहीही  बाधा  न  येता  ते  शेवट-पर्यंत  घट्ट  टिकविणे  हाच  तर  मैत्रीचा  सरळ-साधा-सोपा  अर्थ  असतो.

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मैत्रीचं हे नातं
सगळ्या नात्यात श्रेष्ठं
हे नातं टिकवण्यासाठी
नकोत खुप सारे कष्टं
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नवं-चारोळीकार
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               (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-मन माझे.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.12.2022-शनिवार.