मला आवडलेल्या चारोळ्या-चारोळी क्रमांक-154

Started by Atul Kaviraje, December 19, 2022, 09:38:02 PM

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Atul Kaviraje

                                मला आवडलेल्या चारोळ्या
                                  चारोळी क्रमांक-154
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     --नवं-चारोळीकाराने  मैत्रीचा  एक  अत्त्युत्तम  दाखला  या  चारोळीतून  दिला  आहे . तो  म्हणतोय , की मैत्री  अशी  काही  सहजा-सहजी  मिळत  नाही . ती  फार  फार  पारखून , परीक्षा  दिल्यानंतरच  प्राप्त  होत  असते . त्यासाठी  अनेक  दिव्यातूनही  जावे  लागते . मैत्री  अशी  असते , की  तिच्या  सहवासात  होणारे  त्रास , कष्ट , दगदग  अश्या  गोष्टींचे  विस्मरण  होते , ते  सारं  सारं  विसरता  येतं . पण  खऱ्या    मैत्रीची  व्याख्या  अशी  आहे , की  तावून  सुलाखून  जोडता  जोडता , आपल्याला  उत्तम  मित्र  अथवा  मैत्रीण  मिळण्याकरता  अनेक  पावसाळे  जावे  लागतात , खूप  दिवस , काही  वर्षेही  जावी  लागतात ,   तेव्हा  कुठे   खरी  मैत्री  आपणास  प्राप्त  होते ,   की जी  अतूट , अभंग ,अखंड , शेवट-पर्यंत  टिकणारी  अशी  असते .

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मैत्रीच्या सहवासात
श्रम सारे विसरता येतात
पण खऱ्या मैत्रिणी मिळवण्यासाठी
काहीदा कितीतरी पावसाळे जातात.
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नवं-चारोळीकार
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              (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-मन माझे.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.12.2022-सोमवार.