साहित्यशिल्पी-देश के जयघोषण का पर्व है-गणतंत्र दिवस-

Started by Atul Kaviraje, December 19, 2022, 10:03:02 PM

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Atul Kaviraje

                                    "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "देश के जयघोषण का पर्व है-गणतंत्र दिवस" 

                     देश के जयघोषण का पर्व है-गणतंत्र दिवस-- 
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यु गर्व से सिर उठाने का दिन ० देश के जयघोषण का पर्व है-गणतंत्र दिवस (26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर विशेष) .[आलेख]- डॉ. सूर्यकांत मिश्रा-
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     भारतीय गणतंत्र पर्व यानी गर्व से सिर उठाने का दिन। 26 जनवरी 1950 को हमनें अपने संविधान को अंगीकार किया। दुनिया में सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत देश के प्रत्येक नागरिक को असीम शक्ति प्रदान करने वाले हमारे संविधान ने रंग, जाति और ऊंच नीचे के भेद को मिटाते हुए सभी को समान अधिकार प्रदान किये। हिंदुस्तान के सरजमीं पर सभी धर्मों ने सम्मान पाते हुए अपना अस्तित्व कायम किया। यही कारण है कि हम गर्व से कह सकते है हिंदुस्तान एक देश नहीं वरन कई देशों, कई धर्मों, कई जातियों का संगम है। समानता के अधिकार से लेकर धर्म की स्वतंत्रता, विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रत और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की स्वतंत्रता से हमनें संविधान की मर्यादा को बरकरार रखा है। 26 जनवरी के दिन हम अपने राष्ट्रीय प्रतीक तिरंगे को तीनों सेनाओं की सलामी प्रदानकर अपने राष्ट्र भक्त होने का परिचय देते रहे है। इस बार हम अपने गणतंत्र की 68वीं सालगिरह मनाने जा रहे है। हमेें जरूरत महसूस हो रही है कि हम अपने देश में बदल रही युवा शक्ति की चाहत और उनकी परिपाटी पर गंभीरता पूर्वक चिंतन करते हुए संविधान को और शक्तिशाली बनाने कार्यप्रणाली की शरण में जायें। विधायिका, कार्यपालिका और न्याय पालिका ही वह ताकत है जो देशवासियों को भय के दायरे में रख सब कुछ व्यवस्थित रख सकती है।

     गणतंत्र ही एक ऐसा सर्व धर्म पर्व है जिसके दम पर हम अपनी एकता और शक्ति का परिचय विश्व को दे सकते है। हमारे देश की तीनों सेना की ताकत और तोपों की गर्जनों, आकाशीय इंद्रधनुषीय लड़ाकू विमानों की गोताखोरी, हवाई युद्ध में हमारे जंबाजों की शक्ति का नमूना मानी जा सकती है। विजय पथ पर जवानों की कदमताल इस बात जयघोष है कि अपने वतन के लिए हम सब साथ चलने तैयार है। एनसीसी कैडेट्स और शालाओं में एनएसएस पाठ्यक्रम का हिस्सा बन रहे बच्चे जब 16 व्यायाम के जरिये अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन विराट समूह के बीच करते है, तो ऐसा लगता है मानो देश की भावी सेना दुश्मन के छक्के छुड़ाने बेताब है। विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक छटा को बिखेरते हुए लालकिले के सामने से झांकियों का नयनाभिराम समूह जब गुजरता है तो हमारे हृदय में एक राष्ट्र, एक विचार, भाईचारा और सद्भावना की मिशाल गर्व से चित्कार ध्वनि कर उठती है कि ऐ! आंख तरेरने वालों! सावधान हम एक थे, एक हैं और एक ही रहेंगे। हमारी शक्ति न तो अंग्रेजों के कम हुई थी, और न ही अब कश्मीर पर हल्ला मचाने वाले मुठ्ठी भर लोगों के सामने कम होंगी। हमारा इतिहास रहा है कि हमने हमेशा विश्व में भाई चारे को स्थापित किया है और आज भी उस पर अडिग है।

--प्रस्तुतकर्ता-डा. सूर्यकांत मिश्रा
राजनांदगांव (छ.ग.)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.12.2022-सोमवार.