मला आवडलेल्या चारोळ्या-चारोळी क्रमांक-155

Started by Atul Kaviraje, December 20, 2022, 09:08:22 PM

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Atul Kaviraje

                                मला आवडलेल्या चारोळ्या
                                  चारोळी क्रमांक-155
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     --नवं-चारोळीकाराने  मैत्रीचे  नाते  समजून  देण्यासाठी  एक  उत्तम  उदाहरण  दिले  आहे . तो   म्हणतोय , की  मैत्री  ही  आईच्या  मायेसम , ममतेसम  असते . ज्याप्रमाणे  आपल्या  मुलास  उन्हाचे  चटके  बसत  असता , त्यास  ती  पदरा-आड  घेऊन  उन्हाच्या  झळी , तलखीपासून त्याचा  बचाव  करते , त्याला  ऊन  लागू  देत  नाही , त्याप्रमाणेच  मैत्री  ही  अशी  असते . एका  मित्रास  दुःख  झाले , त्याच्या  जीवनात  काही  कठीण  परिस्थिती  आली  तर  त्याला  धीर  देऊन  त्याची  समजूत  काढणे , त्याला  जवळ  करून  प्रेम   देणे  म्हणजेच  रखरखत्या  उन्हात  त्यास  मायेची  सावली  देणे . तो  पुढे  म्हणतोय , ही  मायेची  सावली  आहेच , पण  हे  मित्र-मैत्रिणी  या  मैत्रीच्या   सुखाच्या  दवात  चिंब  भिजून , न्हाऊन  त्यांना  एक  अलौकिक  असा  आनंद  प्राप्त  होतो , इतकी  प्रसन्नता  मिळते , जी  अवर्णनीय  असते . इतका  आनंद  त्यांना  कुठेच  मिळत  नाही , जो  या  मैत्रीत  त्यांना  मिळतो . मैत्री  म्हणजे  सुखाचे  द्वारच .

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मैत्री म्हणजे
रखरखत्या उन्हात मायेची सावली
सुखाच्या दवात भिजून
चिंब चिंब नाहली
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नवं-चारोळीकार
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               (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-मन माझे.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.12.2022-मंगळवार.