आज फिर कलम से..-कविता-यादों का दिसम्बर

Started by Atul Kaviraje, December 24, 2022, 10:03:05 PM

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Atul Kaviraje

                                   "आज फिर कलम से.."
                              ✍~Aaj phir kalam se..✍
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मित्रो,

     आज पढते है, दीपक, इनके "आज फिर कलम से.." इस कविता ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "यादों का दिसम्बर"

                                 "यादों का दिसम्बर"
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आज सर्द हवाओं ने छुआ जब
तो सिहरन हुई
याद आया तुम कैसे सिहर जाती
थी मेरे छूने से
कि जब गुदगुदे रजाई की ओट ली
जो सुकूँ मिला तब
याद आया तुम कैसे लिपट जाती
थी मेरे बदन में भरकर
थोड़ी सी हवा कहीं से घुस रही थी
जब करवट ली भींचकर
याद आया मेरी सांसों का तुम्हारी
गर्दन के पीछे तेज़ हो जाना
और तुम्हारा आँखे मीचकर वो
पलट के मुझमें समा जाना, हाँ
धड़कनों तक आँच का आना
मेरा तकिया बन जाना
मेरे चेहरे से चेहरा रगड़ना
याद आता है कैसे जीभ से
गुदगुदी कर मेरे कान काट
लेती थी आहिस्ता , तुम कैसे मुझे
बेसब्र कर जाती थी सच में ये जो
दिसम्बर है यादों का है
तेरे मेरे जज्बातों का है

#दीपक©✍
(शनिवार, 23 दिसंबर 2017)
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-डिजिटल स्याही.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.12.2022-शनिवार.