कस्तूरिया-कविता-जब तक बची रहेगी धरती

Started by Atul Kaviraje, December 24, 2022, 10:07:27 PM

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Atul Kaviraje

                                     "कस्तूरिया"
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मित्रो,

     आज पढते है, "कस्तूरिया" इस कविता ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "जब तक बची रहेगी धरती"

                             "जब तक बची रहेगी धरती"
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गिरी हुई चीज़ों का

अपना इतिहास होता है

गिरना आसान नहीं

सोचकर हर एक गिरी चीज़ को

धरती उठा लेती है औचक

फूल,महुआ,आम,सूखी लकड़ी

गिरे हुए पुरुषों के गिरे हुए बच्चे और

गिरी हुई स्त्री को भी

जब तक बची रहेगी धरती

बची रहेंगी वस्तुएं

और गिरी हुई स्त्री भी

तारे टूटते नहीं

आसमान उन्हें धकेल देता है

अपनी गोद से

उनकी उच्छृंखलता पर

टूटा तारा जब गिरता है

अपनी परिधि से

धरती सहेज लेती है उसे

फूलों की डालियों पर

टूटे तारे फूल बन महकते हैं जब

आसमान अपनी गलती पर

पछताता है।

--कस्तूरिया
(December 12, 2022)
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-कस्तूरिया-km.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.12.2022-शनिवार.