सुनीता यादव-अपनी-सी लगे मॉरीशस की धरती-2-ब-

Started by Atul Kaviraje, December 24, 2022, 10:16:58 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                    "सुनीता यादव"
                                   --------------

मित्रो,

     आज पढते है,सुनीता प्रेम यादव, इनके "सुनीता यादव" इस कविता ब्लॉग का एक लेख  . इस कविता का शीर्षक है- "अपनी-सी लगे मॉरीशस की धरती"

मॉरीशस: बड़े अच्छे लगते हैं ये धरती, ये नदिया, ये रैना और यहाँ के लोग ..

                         "अपनी-सी लगे मॉरीशस की धरती"-2-ब--
                        -------------------------------------

     पूनम और रक्षा  ले गईं  शहर के बीचों-बीच स्थित इस द्विप का आकर्षण केंद्र बगातीले मॉल में ... बड़ा-सा पार्किंग, रेस्तरां,दुकानें,थिएटर, सुपरमार्केट से घिरा यह जगह सुंदर तो है पर मन को नहीं भाया। यूं ही घूमते-घामते, साहसी ख़रीदारों की  भांति दाम पूछते-पूछते लौट पड़े वापस अपने होटल में। ठंडी हवा, बादलों से बरखा की फुहार, थकान को सुस्ताती बिस्तर....आहा ! सुख निद्रा में दो पल के लिए खोने ही वाले थे कि एक-एक करके सब हाल-चाल पूछने चले आए। मैं जागूँ  तू सोजा रे कुसुम....मैं जागूँ तू सोजा.....:-) अपनत्व की भाषा .तृप्ति की भाषा ! अगले दिन ख़रीदारी का दिन था ।  खूब लंबा निकल गया। बेमन से; ख़रीदारी क्या करना सोच कर निकले, लेकिन जहाज बनाने की प्रक्रिया देख मन खुश हो गया । स्थानीय कारीगरों के हाथों से बने बैग, इत्र, कृत्रिम फूल, अद्वितीय डिजाईं वाले हीरे व गहनें,हस्त शिल्प आदि देखते हुए समय कैसे गुजरा पता न चला।

     दक्षिणी हिस्से का सैर करते हम पहुंचे थे फ्लोरिअल पर जहाँ स्थानीय हस्तकला एवं शिल्प तथा जहाज  बनाने की प्रक्रिया से अवगत हुए । इसके बाद पहूँचे थे क्यूरे पाइप ट्रौ औक्स सेफ़र्श डोरमेंट ज्वालामुखी या जो मूरर्स ज्वालामुखी नाम से भी जाना जाता है; यह अनेक स्वदेशी पौधों की प्रजातियों से घिरा है । मॉरीशस का जन्म दरअसल  अन्तः समुद्री ज्वालामुखीय विस्फोट से हुआ था यह आज भी सुप्त है पर कहा जाता है  आनेवाले समय में जागृत होने की  संभावना है। यह निष्क्रिय  ज्वालामुखी समुद्र के 605 मीटर ऊपर है। लग-भग 350 मीटर की  व्यास एवं 100 मीटर की गहराई लिए हरी पाइन के  पेड़ों से घिरे  क्रेटर के  केंद्र में एक झील है जिसकी सुंदरता को  नग्न चक्षु ने बरसात के कारण जी भर देख न पाया।  लेकिन राजीव जी  की छतरी पलट- पलट कर कह रही थी जरा रेंपार्ट, ट्राइस मैमेल्स,और मोका पर्वत श्रुंखला भी देख लीजिए। हमने जी भर देखा...मंद –मंद मुसकुराते हुए चल पड़े 1800 फुट ऊंचाई पर स्थित ग्रांड बेसीन 'गंगा तलाओ' की ओर। शिव जी की 108 फुट ऊंची मूर्ति  के दर्शन करते हुए गंगा तालाब के किनारे स्थापित 'मॉरीशस ईश्वरनाथ' नाम से तेरहवाँ ज्योतिर्लिंग का दर्शन लाभ कर, आरती की, पूजा अर्चना के बाद जल चढ़ाने गई । असीम ने मानो पी ही लिया। बरसाती फुहार, आरती व जुहार, अगरबत्ती की खुशबू, माँ दुर्गा के आशीर्वाद, हनुमान जी की कृपा, प्राणोत्सव के गीत गाती मैं ....जीवन-संगीत की भाषा लिए मन के सितार को छेड़ रही थी.... उसके बाद शमारेल के जंगल के बीचों-बीच एक वाटर फॉल देखने के बाद रु-ब-रु हुए सात रंग की मिट्टी से । हैरानी हुई इस ज्वालामुखी  की जमी राख़ को देख कर। लाल, पीली, हरी, नीली, भूरी, काली, सफ़ेद रंग की मिट्टी !! खनिज की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह जमीन रंग-बिरंगी है। मन में उठ रही सतरंगी ज्वाला लिए लौट पड़े होटल में... मन किया आगोश में भर लूँ तुम्हें, दो पल सुस्ता लूँ तुम्हारी बाहों में असीम!!!

--सुनीता प्रेम यादव
औरंगाबाद,महाराष्ट्र   
(Friday, March 11, 2022)
----------------------------

              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-सुनीता यादव.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
             --------------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.12.2022-शनिवार.