काव्यालय कविता-कविता सुमन-14-सुप्रभात

Started by Atul Kaviraje, December 26, 2022, 09:29:20 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                    "काव्यालय कविता"
                                     कविता सुमन-14
                                   ------------------

मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "काव्यालय कविता" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है-  "सुप्रभात"

                                       "सुप्रभात"
                                      ----------

सुप्रभात
नयन का नयन से, नमन हो रहा है
लो उषा का आगमन हो रहा है
परत पर परत, चांदनी कट रही है
तभी तो निशा का, गमन हो रहा है
क्षितिज पर अभी भी हैं, अलसाये सपने
पलक खोल कर भी, शयन हो रहा है
झरोखों से प्राची की पहली किरण का
लहर से प्रथम आचमन हो रहा है
हैं नहला रहीं, हर कली को तुषारें
लगन पूर्व कितना जतन हो रहा है
वही शाख पर पक्षियों का है कलरव
प्रभातीसा लेकिन, सहन हो रहा है
बढ़ी जा रही जिस तरह से अरुणिमा
है लगता कहीं पर हवन हो रहा है
मधुर मुक्त आभा, सुगंधित पवन है
नये दिन का कैसा सृजन हो रहा है।

(प्राची : पूर्व दिशा; आचमन : मुख धोना, मन्त्र पढ़कर जल पीना; तुषार : हिमकण, यहाँ ओस; कलरव : चहक; आभा: चमक)

--प्रभाकर शुक्ला
---------------
--काव्यपाठ: वाणी मुरारका
------------------------

                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-काव्यालय.ऑर्ग/युगवाणी)
                   ----------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.12.2022-सोमवार.